दिनांक : १९-०१-२०२२ को जब केंद्रीय सूचना मंत्री अनुराग ठाकुर ने राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में लिप्त यू-ट्यूब चैनलों, न्यूज़ पोर्टलों और वेबसाइटों को बंद करने की घोषणा की तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। देश में ऐसे असंख्य यू-ट्यूब चैनलों, न्यूज़ पोर्टलों और वेबसाइटों जैसे अभिव्यक्ति के निरंकुश माध्यमों पर शिकंजा कसना अत्यावश्यक हो गया है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश की संस्कृति, राष्ट्रीय अखंडता, संवैधानिक निष्ठा और सामाजिक समरसता को बिगाड़ने की योजनाबद्ध षडयंत्र कर रहे हैं। ऐसे सोशल माध्यमों का उपयोग विदेशी सांठगांठ में किया जा रहा है और यह बात आज नहीं तो कल खुलकर सामने आएगी।  सरकार को चाहिए कि ऐसे सोशल मिडिया की जाँच करे, उनके खिलाफ जांच समितियां गठित करे तथा उनकी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों की न केवल नंगाझोरी करे बल्कि उन्हें जनता के सामने भी लाए ताकि वह समझ सके कि इस देश के खिलाफ षडयंत्रों में अपने ही देश के नागरिक कितनी ढिठाई से लिप्त हैं। लेकिन, सिर्फ इतने से ही काम नहीं चलने वाला है; उन्हें सार्वजनिक रूप से अर्थ-दंड के अतिरिक्त 'कॉर्पोरल पनिशमेंट' भी दे। इनका संचालन बड़े पैमाने पर शत्रु-देशों द्वारा भारी-भरकम वित्त-पोषण के जरिए किया जा रहा है जो इस संक्रमणशील दौर में देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ऐसा अनुमान है कि जितना ज्यादा धन जिहाद के नाम पर इस देश के गैर-राष्ट्रीय धंधों में बाहर से आ रहा है, उससे हजारगुना धन इन सोशल मीडिया में लगाया जा रहा है। 
 
बड़े आश्चर्य की बात है कि कोई दर्जनभर ऐसे यू-ट्यूबों के नामों का खुलासा हुआ है जिनका सञ्चालन पाकिस्तान, चीन और कितने शत्रु-देशों से किया जा रहा है और भारतीय जनता को गुमराह किया जा रहा है। यह संख्या तो बहुत कम है; यह सैकड़ों और हजारों में हो सकती है। इस सम्बन्ध में सरकार को सीधे तौर पर यू-ट्यूब प्रबंधन से संपर्क साधना चाहिए और उस पर दबाव डालना चाहिए कि भारत जैसे देश के विविधतापूर्ण समाज में विष घोलने वाले चैनलों को न केवल बंद करे बल्कि उन पर सख्त कार्रवाई भी करे। ऐसे चैनलों की संख्या हजारों में है जिन्हें देश की समरसता में जहर घोलने के लिए और जनभावनाओं को राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में इजाफा करने के लिए  भड़काया जा रहा है। ये चैनल जिन मुद्दों को केंद्र में रखकर चलाए जा रहे हैं, वे ऐसे मुद्दे हैं जिनके खिलाफ पहले से जनाक्रोश विद्यमान है। मंदिर-मस्जिद प्रकरण, अल्पसंख्यक समाज, नागरिकता सम्बन्धी कानून, किसान आंदोलन, शाहीन बाग़ जैसे अवांछित जमावड़े आदि को केंद्र में रखकर ये चैनल पूरी तैयारी और शत्रु-देशों के बहकावे और प्रोत्साहन में चलाए जा रहे हैं। 
 
यह बताते हुए आश्चर्य हो रहा है कि अभी तक सरकार इस सम्बन्ध में ख़ामोशी क्यों बरती हुई थी? क्या यह कोई मामूली विषय रहा है ? यह कहना समीचीन होगा कि आज जो देश में एकता तथा राष्ट्रीय निष्ठा के खिलाफ विद्रोहात्मक स्वरों का आलम देखने-सुनने में आ रहा है, उसके लिए अधिकांशत: ये चैनल ही उत्तरदायी है। 
न्यूज़ सोर्स : wewitnessnews