विश्वरंग-वातायन-यूके समारोह-5 से 11 नवम्बर 2022
विश्वरंग-वातायन-यूके समारोह का उद्घाटन और कवि सम्मेलन
लंदन, 5 नवंबर: विश्वरंग-वातायन-यूके द्वारा आयोजित इस महोत्सव का उद्घाटन किया ब्रिटिश सांसद वीरेंद्र शर्मा जी ने, उन्होंने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि इस वैश्विक आर्थिक संकट के समय में भी वातायन-यूके ने एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जो हम सबके लिए सुखद आश्चर्य है। मीरा मिश्रा कौशिक, ओबीई, वातायन की अध्यक्ष ने मेहमानों और श्रोताओं का अभिनंदन करते हुए कहा कि यूके 31 देशों में से एक है और यह हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि वातायन संस्था यूके का प्रतिनिधित्व कर रही है। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष थे अनिल शर्मा जोशी जी। मुख्य अतिथि विश्वरंग के संयोजक माननीय संतोष चौबे जी ने विश्वरंग की परिकल्पना और उद्देश्यों का परिचय देने के उपरांत अपनी कुछ लोकप्रिय कविताएं सुनाईं। डॉ पद्मेश गुप्त, द्वारा प्रस्तुत इस कार्यक्रम की निदेशक थीं: दिव्या माथुर। अध्यक्षीय टिप्पणी और शुभ कामनाएं देते हुए अनिल जी ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया।
प्रथम सत्र में यूके के प्रतिष्ठित कवियों में शामिल थे उषा वर्मा, मोहन राणा, डॉ निखिल कौशिक, शैल अग्रवाल, तेजेंद्र शर्मा, एम.बी.ई, अरुण सब्बरवाल, अरुण अस्थाना, डॉ वंदना मुकेश; जय वर्मा, डॉ इंदिरा आनंद, कृष्ण टंडन और शन्नो अग्रवाल। दूसरे सत्र की संचालक थीं शिखा वार्ष्णेय, यूके के युवा प्रवासी कवियों ने तो समां ही बांध दिया, इनमें सम्मिलित थे: शेफ़ाली फ्रॉस्ट, तिथि दानी, ऋचा जैन, आशीष मिश्रा, ज्ञान शर्मा, मधु चौरसिया, आशुतोष कुमार, इंदु बारैठ, अभिषेक त्रिपाठी, अंतरीपा ठाकुर-मुखर्जी, और आस्था देव जिन्होंने धन्यवाद ज्ञापन भी दिया।
विश्वरंग-वातायन समारोह: 5-10 नवंबर 2022
सोमवार, 7 नवंबर 2022: तृतीय सत्र: कहानी-यूके: भाग-1
लंदन, 7 नवंबर 2022: सिनेइंक के सहयोग से आयोजित, दिव्या माथुर द्वारा निदेशित और डॉ अचला शर्मा द्वारा प्रस्तुत, कहानी-यूके के तीन सत्रों में यूके प्रतिष्ठित और युवा कथाकारों की लोकप्रिय कहानियाँ शामिल की गयीं। प्रथम सत्र में डॉ अचला शर्मा (महरचंद की दुआ), दिव्या माथुर (संदेह), तेजेंदर शर्मा (खिड़की) और उषा राजे सक्सेना (रुके कदम रुक के बार बार उठे) ने अपनी अपनी कहानियाँ सुनायीं। दिव्या माथुर की कहानी की नाटकीय प्रस्तुति डॉ ममता गुप्ता द्वारा की गयी।
सोमवार, 7 नवंबर 2022: चतुर्थ सत्र: कहानी-यूके: भाग-2
अंतरीपा ठाकुर-मुखर्जी द्वारा प्रस्तुत चतुर्थ सत्र: कहानी-यूके: भाग-2 में वरिष्ठ कथाकार उषा वर्मा (कौस्ट-इफ़ैकटिव), शैल अग्रवाल (बसेरा), कादंबरी मेहरा (तलाश), अरुण सब्बरवाल (उड़ारी) और जय वर्मा (गुलमोहर) ने अपनी अपनी लोकप्रिय कहानियों का पाठ किया।
मंगलवार 8 नवंबर 2022: पंचम सत्र: कहानी-यूके: भाग-3
लंदन, 8 नवंबर 2022: दिव्या माथुर द्वारा निदेशित और अंतरीपा ठाकुर-मुखर्जी द्वारा प्रस्तुत, कहानी-यूके के पंचम सत्र: भाग-3 में वरिष्ठ कहानीकार महेंद्र दवेसर ‘दीपक’ की कहानी, ईबू, की नाटकीय प्रस्तुति कृष्ण टंडन द्वारा की गई। जानी माँनी लेखिका डॉ वंदना मुकेश और दो युवा लेखिकाओं शिखा वार्ष्णेय (झंझट खत्म) और आस्था देव (अमृतवाणी) ने अपनी अपनी कहानियों का पाठ किया।
सत्र-6: यूके में हिंदी शिक्षा, कला, संगीत और नृत्य
युवा कवयित्री, अनुवादिका और सॉफ्टवेयर इंजीनियर आस्था देव द्वारा प्रस्तुत, सत्र-6 यूके में हिंदी शिक्षा, कला, नृत्य और संगीत को समर्पित था, जिसकी अध्यक्षता की मीरा मिश्रा कौशिक, ओ.बी.ई., वातायन की अध्यक्ष, स्ट्रीटजिक सलाहकार और क्रॉस-आर्ट निर्माता, ने जो शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों में सक्रीय हैं।
डॉ अरुणा अजितसरिया, केम्ब्रिज विश्वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय शाखा में हिन्दी की मुख्य परीक्षक, महारानी एलिज़ाबेथ, इन्डियन हाई कमीशन तथा प्रवासी संसार द्वारा हिंदी शिक्षा में योगदान के लिए सम्मानित, ने यूके में हिंदी शिक्षा की गति और व्यवस्था के विषय पर एक विचारोत्तेजक वक्तव्य में कहा कि यूके में हिंदी शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की बड़ी गुंजायश है।
राकेश माथुर, प्रतिष्ठित पत्रकार और कला-विशेषज्ञ (भारतीय कला), जिनके खोज-अभियान उन्हें देश-विदेश की अनेक कला-दीर्घाओं की यात्रा करने में सहायक हुए हैं, ने यूके में भारतीय कला और महत्वपूर्ण कलाकारों के योगदान के विषय में एक रोचक और ज्ञानवर्धक पावर-पॉइंट प्रस्तुत किया, जिनमें सम्मिलित हैं: अमृता शेर-गिल का चित्र ‘थ्री गर्ल्स’, भूपेन खखर का चित्र ‘मैन ईटिंग जलेबी’, सर अनीश कपूर की स्टील-प्रतिमा, जुड़वां सिंह बहनें, शांति पांचाल का चित्र, जैन संत, प्रफुल्ल मोहंती के कुछ चित्र, डॉ चित्रा बर्मन टेट गैलरी-लंदन में, सुदीप्त मोदी के कोलाज, और मकबूल फ़िदा हुसैन का ‘बेनाम’ तैलचित्र।
डॉ रागसुधा विंजमूरी, संडरलैंड विश्वविद्यालय-लंदन में एसोसिएट लेक्चरर, संस्कृति-सेंटर फॉर कल्चरल एक्सीलेंस की संस्थापक, पुरस्कृत शास्त्रीय नृत्यांगना और प्रकाशित लेखिका, को भारत की भाषाई विविधता और कम ज्ञात लोक/आदिवासी नृत्य रूपों को उजागर करने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने यूके भर में नृत्य और संगीत के नियमित शिक्षा और महोत्सवों के विषय में जानकारी दी, विशेषतः संस्कृति संस्था द्वारा आयोजित सफल और सार्थक कार्यक्रमों की चर्चा की।
उत्तरा सुकन्या जोशी, जानी मानी गायिका (भारतीय सुगम और शास्त्रीय संगीत), नृत्यांगना, रेकी हीलर, वॉयस ओवर आर्टिस्ट, एक बहुमुखी और लोकप्रिय कलाकार हैं, जिन्होंने एक सुंदर शास्त्रीय वंदना, ‘गाइए गणपति जगवंदन’ के साथ अपनी बात आरंभ की। उन्होंने बताया कि कैसे उनके सुशिक्षित परिवार ने उन्हें संगीतमय माहौल से जोड़े रखा और कैसे वह शिक्षा के साथ साथ संगीत सीखती रहीं। संगीत को वह आध्यात्म से जोड़ती हैं। उत्तरा ने बचपन में भारतीय विद्या भवन-लंदन में संगीत और नृत्य की अपने गुरुओं – ममता गुप्ता और पंडित विश्व प्रकाश जी, कृष्णा चक्रवर्ती इत्यादि की वह बेहद शुक्रगुज़ार है, जिनका आशीर्वाद सदैव उनके साथ है।