गाज़ियाबाद-5 फरवरी  2022 ,दिन शनिवार को बसंत पंचमी के अवसर पर साहित्य शिखर, गाज़ियाबाद का कविसम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन ऑनलाइन के माध्यम से  किया गया  सबसे पहले प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा-राष्ट्रीय अध्यक्ष साहित्य शिखर  ने सभी अतिथिओं के पधारने के लिए स्वागत किया। और निज़ामत का कार्यभार सुप्रिया सिंह वीणा जी को दिया फिर सभी अतिथियों को मंचासीन किया और माँ सरस्वती के आगे दीप प्रज्वलन के पश्चात,  सरस्वती वंदना के लिए अर्पणा अंजन को बुलाया गया। अर्पणा अंजन जी  ने सरस्वती वंदना बहुत ही बेहतरीन तरन्नुम एवं मधुर  आवाज में  प्रस्तुत की, फिर नाते पाक के लिए मंच पर डॉ. शाद बलराम पूरी  जी को बुलाया गया , उन्होंने बहुत ही बेहतरीन अंदाज में नाते पाक अता की, और फिर इस तरह से  मुशायरे  एवं कवि सम्मेलन का आगाज़ हुआ। 

 सुप्रिया सिंह वीणा जी ने  मंच संचालन  के दौरान अलग अलग शायर एवं शायराओं को माइक दिया जिससे कार्यक्रम में शामिल विभिन्न राज्यों एवं शहरों से आए सभी  शायर एवं शायराओं ने अपनी बेहतरीन उपस्थिति  रचनाओं के माध्यम से दी।  यहाँ उन   सभी विशिष्ट  साहित्यकारों का उल्लेख उनके रचनाओं   के साथ  यथार्थ जान पड़ता है-- जिन्होंने मुशायरे एवं कवि सम्मेलन  को  बहुत बेहतरीन  बना दिया l कुछ शायरों एवं शायराओं के नाम एवं उनकीं रचनाएं  इस प्रकार हैं-

 

लगाय घात देखो वो पसे दीवार बैठे हैं।

हमारी जान के प्यासे लिए हथियार बैठे हैं।​​

   -डॉ. शाद बलरामपुरी

 

कविता -शहीदों की रूह

रंग ए ख़ून माँ के दूध में, 

जब भी  बदल जाएंगी 

माँ के आशीर्वाद से, 

फतह भी क़दमों में आएंगी ।

-प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा, गाज़ियाबाद 

 

मेरे अंदर जो बेनज़ीरी है

वो ही जाज़िब-जिगर ज़मीरी है

-सुप्रिया सिंह वीणा

 

बसंत आ गयी चमन में बहार फिर से

बहने लगी बसंती बयार फिर से।

-कवयित्री - विजय कुमारी मौर्य"विजय" लखनऊ

 

मौसमे-गुल आ गया और फ़िज़ा भी महके है

हर तरफ़ भँवरे दिखें, आशिक़ाना है मिज़ाज

-डॉ पूनम माटिया

 

तुम इतनी देर मे आगे निकल भी सकते थे 

जो वक्त तुमने लगाया मुझे गिराने मे

-इकबाल अकरम वारसी

 

माँ शारदे वरदान दे,तू ज्ञान विद्या-दान दे।

वाणी बने मृदु मंत्र सी,संवेदना-संज्ञान दे।

-रीता 'अदा'

 

वसंत तुम बस बसे रहना 

सभी के मन में, जीवन में

तुम्हारे वास को‌ मधुमास 

मेरे मनुहार इतने हैं 

-अर्पणा अंजन

 

खिले हुए हैं किंशुक प्यारे, फगुना की है पहुनाई ।

आम्र मंजरी लगी महकने, शुभ बसंत बेला आई ।

-गजेन्द्र हरिहारनो"दीप" डोंगरगाँव जिला राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़)

 

इस अवसर बहुत अधिक संख्या में श्रोता भी रहे उन्होंने गजलों ,गीतों ,कविताओं का ख़ूब लुफ़्त उठाया और शायरों एवं शायराओं की  होंसला अफज़ाई की। अंत में कविसम्मेलन एवं मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे डॉ. शाद बलरामपूरी जी ने कहा कि साहित्य शिखर पिछले दो सालों में देश में ही नहीं वरन दूसरे देशों में भी साहित्य प्रेमी परिचित हो चुके हैं इस संस्था ने साहित्य में देश व्यापी हिन्दू मुस्लिम एकता के सिद्धांत क़ायम रखते हुए अहम मक़ाम हाशिल कर लिया है इसके लिए मैं  प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा- राष्ट्रीय अध्यक्ष साहित्य शिखर , श्रीमती सुप्रिया सिंह वीणा -  राष्ट्रीय महासचिव साहित्य शिखर एवं साहित्य शिखर की पूरी टीम को अपनी एवं सभी मंचासीन की तरफ से दिल की गहराईयों से मुबारकबाद देता हूँ और  यह संस्था पूरे विश्व में अपना मक़ाम स्थापित करे,  यही हम सबकी कामना है। प्रोफ़ेसर कमलेश संजीदा- राष्ट्रीय अध्यक्ष साहित्य शिखर ने कहा साहित्य शिखर ने कहा कि सुप्रिया सिंह वीणा जी ने बहुत बेहतरीन ढंग से मंच संचालन किया जिसमे उन्होंने तरह तरह की पंक्तिओं के साथ शायर एवं शायराओं को  मंच पर बुलाया और कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया। साहित्य शिखर ने  यह मकाम साहित्य शिखर में शामिल देश  के शायर एवं शायराओं की वजह से ही है क्योंकि इन सभी लोगों ने साहित्य शिखर को अपना भरपूर प्यार एवं स्नेह दिया है ये सभी कुछ उनका ही परिणाम है जो इन दो सालों में आप सभी का प्यार नज़र आ रहा है इस तरह के कार्यक्रम साहित्य शिखर के मंच से होते रहेंगे और सभी को सफल कार्यक्रम की बधाई दी और अगले कार्यक्रम की तब तक के लिया

न्यूज़ सोर्स : wewitnessnews