महिला जज और अन्य अधिकारियों को धमकाने के मामले में फंसे पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान को बड़ी राहत मिली है। इस्लामाबाद की एक अदालत ने इमरान खान के खिलाफ जारी गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट पर 16 मार्च तक के लिए तक रोक लगा दी है।अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी और इस्लामाबाद पुलिस अधिकारियों के खिलाफ धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करने के लिए इमरान खान के खिलाफ सोमवार को गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। इमरान के वकील ने सोमवार को सुनवाई में कहा था कि पीटीआई के नेता वीडियो लिंक के माध्यम से अदालत की कार्यवाही में भाग लेने के लिए तैयार थे, लेकिन वरिष्ठ सिविल जज राणा मुजाहिद रहीम ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए इमरान को 29 मार्च तक अदालत में पेश किए जाने का निर्देश दिया था।

पीटीआई नेता इमरान खान ने बाद में जिला अदालत में वारंट को चुनौती दी, जहां अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फैजान हैदर गिलानी ने आदेश में कहा कि इमरान खान के वकील का तर्क था कि सुरक्षा के मद्देनजर उनके याचिकाकर्ता निचली अदालत में पेश नहीं हो सकते हैं। सुनवाई के दौरान इमरान खान के एक वकील ने कहा कि उनके खिलाफ सुरक्षा खतरों के बीच पूर्व प्रधानमंत्री के लिए इस्लामाबाद आना सुरक्षित नहीं था।दरअसल, इमरान खान के वकील की ओर से इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अदालतों के समक्ष वर्चुअल रूप से पेश होने की अनुमति मांगी थी।

वहीं, जज ने कहा कि इमरान खान की याचिका में उठाई गई दलीलों पर विचार करने की जरूरत है। अब इस मामले में 16 मार्च 2023 को होगी। इस बीच गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट आदेश पर रोक लगाई जाती है।मंगलवार को कोर्ट में पेश हुए वकील नईम पंजोथा और इंतिजार पंजोथा ने तर्क दिया कि पीटीआई प्रमुख के खिलाफ लगाई गई सभी धाराएं जमानती हैं, जिस पर न्यायाधीश ने पूछा कि क्या खान के लिए पहले भी गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए थे। वकील ने जवाब दिया कि इससे पहले महिला जज को धमकी देने के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं किया गया है। इस पर सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि तोशखाना मामले में खान के खिलाफ वारंट भी जारी किए गए थे।