विज्ञान अब इतना आगे बढ़ चुका है कि विलुप्त हो चुकी प्रजाति को भी दोबारा अस्तित्व में ला सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि वैज्ञानिकों और छात्रों के प्रयास से मछली की एक  प्रजाति को लोगों के सामने ला दिया है जो धीरे-धीरे खत्म हो रही थी। प्यारी सी मछली को वैज्ञानिकों ने अपनी सूझ-बूझ और स्थानीय लोगों के सहयोग से फिर से नदियों में तैरने के लिए छोड़ दिया। अब इस प्रजाति की मछलियों की संख्या बढ़ रही है। इस मछली का नाम टकीला स्प्लिटफीन है। वैज्ञानिकों ने इस प्रजाति की मछली को बचाने के लिए कोई शोध नहीं किए, बल्कि स्थानीय लोगों की मदद से इसे बचाने के लिए जागरूक भी किया। इस मुहिम में लोगों ने वैज्ञानिकों की काफी मदद की जिससे इस मछली की प्रजाति को बचाया जा सके।

इस मछली को बचाने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। लगभग 20 सालों से कोशिश की जा रही थी कि इसको बचाया जा सके। मैक्सिको के कुछ छात्रों की ये चिंता थी कि विलुप्त हो रही मछली को किसी तरह बचाया जाए। टकीला ज्वालामुखी के पास ट्यूचिटलान जगह पर इस मछली की प्रजाति पाई जाती है जिसका आकार एक हथेली के बराबर है। छात्रों का कहना था कि मछली स्थानीय जलाशयों, नदियों और तालाबों से गायब होती जा रही है। 

इन छात्रों के समहू में से एक छात्र है ओमार डोमिंग्वेज जिनकी उम्र अब 47 वर्ष है। ओमार के अनुसार, इनकी मूछें नारंगी होने के कारण उनके बुजुर्ग इस मछली को गैलिटी या लिटिल रुस्टर के नाम से बुलाते थे। जैसे-जैसे समय बीता मछलियों की संख्या खत्म होने लगी। इन्होंने खुद इन मछलियों को विलुप्त होते देखा है। 

 

वर्ष 1998 में इंग्लैंड से जब चेस्टर चिड़ियाघर और अन्य यूरोपीय वैज्ञानिकों का दल जब मैक्सिकों आया तो उन्होंने ओमार और उनके साथियों के साथ बातचीत की। सबने मिलकर एक योजना बनाई कि इन मछलियों को दोबारा बचाया जाएगा, लेकिन समस्या ये थी इनको प्रजनन कैसे हो? क्योंकि जनसंख्या बढ़ाने के लिए प्रजनन का होना जरूरी है। 

 

प्रजनन के लिए ऐसे लोगों को चुना गया जो इस प्रजाति की मछलियों को पालते थे। इनको एक बड़ी सी जगह पर पानी में छोड़ दिया गया जिससे ये आपस में प्रजनन कर सकें। कुछ ही समय में इनकी संख्या तेजी के साथ बढ़ने लगी।