छतीसगढ़ के कानन पेंडारी मिनी जू में एक उम्र दराज जख्मी बाघिन की मौत हो गई। बुधवार की रात मादा बाघ की मौत की खबर कानन से बाहर आई। उसे आठ माह पहले अचानकमार टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू कर कानन पेंडारी लाया गया था। तब से उसका इलाज हॉस्पिटल में चल रहा था। कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में इससे पहले 12 फरवरी को गर्भवती मादा हिप्पो और चार दिन पहले भालू की मौत हो गई थी।

8 जून 2021 को अचानकमार टाइगर रिजर्व के बरमान नाला के पास से मादा बाधिन को घायल अवस्था में रेस्क्यू कर कानन पेंडारी जू लाया गया था। बाघिन बहुत गंभीर थी। रेस्क्यू के बाद बाघिन की जांच की गई, तब पता चला कि बाघिन खड़ा नहीं हो पा रही थी और बहुत कमजोर थी। मादा बाधिन के बाये कंधे के पास और पूंछ के ऊपरी भाग में बड़ा घाव पाया गया था। मादा बाघिन के शरीर में मिले घाव की वजह आपसी लड़ाई को बताया गया था। मादा बाघिन की उम्र लगभग 13 वर्ष है। एक बाघ की जंगल में औसत आयु 12-14 वर्ष होती है। मादा बाघिन का जन्म 2009 में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुआ था और उसने वर्ष 2013 व 2015 में 2 और 3 शावकों को जन्म दिया था। एक दिन पहले बिलासपुर दौरे पर आए वन मंत्री मोहम्मद अकबर से मीडिया द्वारा वन्य जीवों की लगातार हो रही मौत पर सवाल उठाने पर मंत्रीजी उखड़ गए थे।