इंसान में आमतौर पर  A, B, AB, 0+ और निगेटिव जैसे कई ब्लड ग्रुप्स पाए जाते हैं, लेकिन एक ऐसा ब्लड ग्रुप है जिसके बारे में शायद ही किसी को पता हो। यह बहुत कम लोगों के शरीर में पाया जाता है। इसकी वजह से इसको गोल्डन ब्लड कहते हैं। इस ब्लड ग्रुप को आरएच नल  कहा जाता है जो इसका असली नाम है। इस ब्लड को किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है। किसी ब्लड ग्रुप के साथ यह आसानी से मैच हो जाता है। यह ब्लड ग्रुप सिर्फ उस व्यक्ति के शरीर में मिलता है जिसका Rh फैक्टर null (Rh-null) होता है। 

जानिए क्या होता है Rh Factor
गोल्डन ब्लड ग्रुप कहे जाने वाले Rh Null ब्लड ग्रुप में रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) पर कोई आरएच एंटीजन (प्रोटीन) नहीं मिलता है। अगर यह प्रोटीन रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) में मौजूद है तो ब्लड Rh+ Positive कहलाता है। लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों में Rh फैक्टर Null होता है। 


जानिए क्यों कहा जाता है गोल्डन ब्लड

दुनियाभर में यह बेहद दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, क्योंकि यह सिर्फ 43 लोगों में पाया जाता है। जिन लोगों के पास यह ब्लड ग्रुप है उनमें अमेरिका, ब्राजील, कोलंबिया और जापान के लोग शामिल हैं। दुनिया में इस ब्लड ग्रुप के नौ लोग हैं जो ब्लड डोनेट करते हैं। इसलिए इस ब्लड ग्रुप को गोल्डन ब्लड कहा जाता है, क्योंकि दुनिया में यह सबसे महंगा ब्लड ग्रुप है। इस खून को तो किसी को चढ़ाया जा सकता है, लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों को खून की जरूरत होती है, तो कई तरह की परेशानियां होती हैं। 


जमा किया जाता है खून

दुनिया में यह ब्लड ग्रुप सिर्फ 43 लोगों में मिलता है जिसकी वजह से इस ग्रुप का डोनर मिलना मुश्किल है। इस ब्लड ग्रुप को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रांसपोर्ट करना भी कठिन है। हमने ऊपर बताया है कि इस ब्लड ग्रुप के नौ लोग खून को सक्रिय रूप से डोनेट करते हैं ताकि खून को ब्लड बैंक में जमा किया जा सके। इस ब्लड ग्रुप को सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाता है जो इस ग्रुप के हैं।