सरकार के प्रयासों और मेक इन इंडिया के दम पर भारत के पास मौजूदा दशक में वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने का अनूठा अवसर है। इसकी वजह यह भी है कि विदेशी कंपनियां जुझारूपन बनाए रखने के लिए विनिर्माण एवं आपूर्ति श्रृंखला रणनीतियों को अपना रही हैं। इससे न सिर्फ देश में निवेश बढ़ेगा बल्कि भारी संख्या में रोजगार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।मंगलवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में कहा गया है कि अमेरिका एवं चीन के बीच व्यापार युद्ध, कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी जटिल चुनौतियों की वजह से आपूर्ति श्रृंखला के झटकों का जोखिम आज के मुकाबले कभी भी इतना अधिक महसूस नहीं किया गया। इसलिए तेजी से बदलते हालात में वैश्विक कंपनियां विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला रणनीतियों को अपना रही हैं।

भारत को इस दशक में वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के इस अनूठे अवसर का लाभ उठाना चाहिए।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस अवसर का लाभ उठाने के लिए तीन प्रमुख बातें अहम हैं- उल्लेखनीय घरेलू मांग की संभावना, विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कदम उठाना और विशिष्ट जनसांख्यिकीय लाभ। इसमें कहा गया है कि वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए मेक इन इंडिया 2.0 के जरिये 27 क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है। इनमें 15 विनिर्माण और 12 सेवा क्षेत्र शामिल हैं।