लन्दन: दिनांक : १२ मार्च २०२२ को "वातायन-यूके" की संगोष्ठी-९७ के तहत "स्मृति श्रृंखला-२३ भारतरत्न लता मंगेशकर" का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन में न केवल लता जी की सांगीतिक यात्रा पर प्रकाश डाला गया बल्कि उनके जीवन के अनछुए पहलुओं के बारे में भी व्यापक चर्चा की गई। 

स्मृति श्रृंखला-२३ का संचालन सुप्रसिद्ध कवि और लेखक डॉ. पद्मेश गुप्त ने किया जबकि चर्चा के प्रतिभागी विशिष्टजनों ने लता जी के संबंध में अपने-अपने वक्तव्य दिए। कार्यक्रम का आरम्भ लता जी द्वारा गायी गई सरस्वती वंदना से किया गया। सुप्रसिद्ध गायिका दीपा स्वामीनाथन ने लता जी की सरस्वती वंदना "माता सरस्वती शारदा..." को स्वर दिया। तत्पश्चात वाणी प्रकाशन के प्रकाशक अरुण मोहन माहेश्वरी ने यतीन्द्र मिश्र द्वारा लता मंगेशकर पर लिखी गई पुस्तक और हरीश भिवानी की पुस्तक "लता जी की अजीब दास्तां" और पद्मा सचदेव की किताब "ऐसा कहाँ से लाऊँ" पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने विजय तेंदुलकर द्वारा लता जी पर लिखी गई एक कविता भी सुनाई। उन्होंने बताया कि लता जी का जीवन पहेलियों से युक्त गूढ़ रहस्यों से भरा हुआ है। उन्होंने बताया कि लता जी ने कभी कहा था कि 'मैं भी इंसान हूँ, मेरी भी अपनी तमाम तकलीफें हैं।' उन्होंने नूरजहां सहित पाकिस्तानी शख्सियतों के लताजी के बारे में कही गई बातों का भी उल्लेख किया। तत्पश्चात बनारस के योगिराज स्वामी ओमा अक ने लता जी के बारे में जो सारगर्भित उद्गार व्यक्त किए, उससे सभी उपस्थित जन भावुक हो उठे। उन्होंने बताया कि विविध भारती के फरमाइशी गीतों के कार्यक्रमों में सबसे अधिक लता जी के गीतों की फरमाइश होती रही है। बहरहाल, उन्होंने हमेशा अपने गीतों की गुणवत्ता पर ध्यान दिया, न कि गीतों की संख्या पर जबकि गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में बहुत पहले ही लता जी का नाम सर्वाधिक गाए गए गीतों की गायिका के रूप में दर्ज़ किया जा चुका है। पिछले दो हजार सालों में ऐसा कलाकार सिर्फ एक बार ही पैदा हुआ है। बेशक, लता जी से सम्बंधित स्वामीजी के विचार अंतर्भूत थे जो मूर्त रूप में सामने आए। 

कार्यक्रम में लताजी के गीतों को भी बार-बार सुनाकर श्रोताओं को आत्मविभोर किया गया। इसी क्रम में दीपा स्वामीनाथन ने ईश वंदना के रूप में लताजी द्वारा गाए गए भजन "प्रभु तेरो नाम, जो ध्याये फल पाए, सुख लाए तेरो नाम" सुनकर दर्शकों को आह्लादित कर दिया। डॉ. पद्मेश गुप्त ने कहा कि आशा है कि विश्वविद्यालयों में लता जी से सम्बंधित साहित्य पर शीघ्र ही शोध-कार्य आरम्भ होगा। तत्पश्चात, सम्मानित गायिका विभूति शाह जी ने भी लताजी को गुरुमाई बताते हुए उनके बारे कुछ संस्मरण सुनाए। उन्होंने लता जी का एक गीत "हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबू..." सुनाकर श्रोताओं को आत्मविभोर कर दिया। 

कार्यक्रम का समापन करते हुए ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग की हिंदी अधिकारी निवेदिता साहू ने बताया कि लता जी का जाना एक अपूरणीय क्षति है। उल्लेख्य है कि सुश्री साहू इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही थीं। उन्होंने भी लता जी का एक गीत सुनाया। 

 

(प्रस्तुति : डॉ. मनोज मोक्षेंद्र)

न्यूज़ सोर्स : wewitness literature