लन्दन, ६ नवम्बर २०२२ : कोई ढाई वर्षों से  चल रही 'वातायन' संगोष्ठियों के सन्दर्भ में 'विश्वरंग-वातायन यूके फ़ेस्टिवल' के वार्षिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। यह ऑनलाइन आयोजन दिनांक ५ नवम्बर २०२२ को भारतीय समय के अनुसार ८ बजकर ३० मिनट पर आरंभ हुआ तथा लगभग दो घंटे तक अविराम चलता रहा। यह कार्यक्रम दो सत्रों में विभाजित था तथा प्रथम सत्र  इसके उद्घाटन को समर्पित था। प्रथम सत्र में उद्घाटन समारोह का संचालन प्रसिद्ध कवि और लेखक, पद्मश्री पद्मेश गुप्त ने किया। इसके तहत, सरस्वती वंदना के बाद उद्घाटन-भाषण ब्रिटेन के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने दिया तथा इसकी अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी ने की। वीरेंद्र शर्मा ने वातायन संगोष्ठियों के आयोजकों, सदस्यों और प्रतिभागियों को तहे-दिल से धन्यवाद दिया जबकि अनिल शर्मा जोशी ने अपने संक्षिप्त भाषण में बताया कि वैश्विक मंच पर वातायन के साहित्यिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम खास महत्व रखते हैं। सांसद ने कहा कि वह वातायन परिवार के श्रमसाध्य आयोजनों की प्रशंसा करते हैं। प्रख्यात साहित्यकार एवं इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संतोष चौबे और विशिष्ट अतिथि डॉ. नंदिता साहू ने वातायन संगोष्ठियों के वैश्विक हिंदी साहित्य में महत्त्व को रेखांकित किया। संतोष चौबे का उद्गार सारगर्भित था। इसी सत्र में वरिष्ठ कवियों नामत: संतोष चौबे, अनिल शर्मा जोशी, तेजेन्द्र शर्मा, अरुण अष्ठाना और मीरा मिश्रा कौशिक के सुन्दर कविता-पाठों का दर्शकों और श्रोताओं ने बड़ी तल्लीनता से सुना और उनकी सराहना की। द्वितीय सत्र की प्रस्तोता शिखा वार्ष्णेय को मंच-संचालन का दायित्व सौंपते हुए पद्मेश गुप्त ने भी एक हृदयस्पर्शी कविता सुनाकर श्रोताओं को मन्त्र-मुग्ध कर दिया। 

द्वितीय सत्र में, विशेषतया युवा प्रवासी कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया। इस सत्र के कवि-कवयित्री थे--शेफ़ाली फ्रॉस्ट, तिथि दानी, ऋचा जैन, आशीष मिश्र, ज्ञान शर्मा, मधु चौरसिया, आशुतोष कुमार, इंदु बरोत, अभिषेक त्रिपाठी, अंतरीपा ठाकुर-मुखर्जी और आस्था देव। द्वितीय सत्र के कवियों और कवयित्रियों के बारे में विशेष बात यह थी कि उनकी कविताएं अत्यंत परिपक्व थीं और समकालीन सन्दर्भों में समस्याओं और मुद्दों को उत्खनित करने वाली थीं। उनकी कविताओं की प्रशंसा, मंच पर उपस्थित सभी वरिष्ठ कवियों, प्रबुद्धजनों तथा श्रोता-दर्शकों ने की। 

उल्लेखनीय है कि 'विश्वरंग-वातायन यूके फ़ेस्टिवल' के इन दोनों सत्रों में आयोजित कार्यक्रमों को यूट्यब और जूम के माध्यम से जुड़े समस्त श्रोता-दर्शकों ने अत्यंत ध्यानमग्नता और गंभीरता से सुना। स्वयं वातायन संगोष्ठियों की  सूत्रधार और संयोजक दिव्या माथुर ने इस सफल उद्घाटन-समारोह के संबंध में कहा कि दोनों सत्रों में कवियों की प्रस्तुतियां उम्मीद से अधिक सराहनीय थीं। 

कार्यक्रम के अंत में आस्था देव ने दोनों प्रस्तोताओं की प्रस्तुतियों की प्रशंसा की और वरिष्ठ साहित्यकारों के प्रति कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति पर आभार प्रकट किया। आस्था देव ने 'वातायन' परिवार की ओर से प्रतिभागियों तथा श्रोता-दर्शकों के प्रति भी हार्दिक आभार प्रकट किया। 

न्यूज़ सोर्स : Literary Desk