उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर में क्षतिग्रस्त सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट पर उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने डीडीए को इमारत के पुनर्विकास के लिए योजना तैयार करने के आदेश दिए हैं। साथ ही, उन्होंने अपार्टमेंट में रहने वालों के लिए तत्काल पुनर्वास का इंतजाम करने के आदेश भी दिए हैं। इमारत में संरचनात्मक खामियों के कारण निवासियों पर लगातार खतरा मंडरा रहा है।भवन निर्माण के महज 10 वर्षों में आई खामियों को गंभीरता से लेते हुए एलजी ने बिल्डर, ठेकेदार और निर्माण एजेंसियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई का भी आदेश दिया है।

निर्माण में अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान कर मामले की विजिलेंस जांच कराकर 15 दिनों के अंदर दोषी अधिकारियों पर आपराधिक कार्रवाई का भी आदेश दिया है।राजनिवास के अधिकारी का कहना है कि एलजी ने सभी अधिकारियों और ठेकेदारों से कहा है कि कोई ढिलाई, कदाचार या मिलीभगत बर्दाश्त की जाएगी। इससे भी ऊपर क्षेत्र में रहने वाले निवासियों का हित है। सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स का निर्माण 2007-2009 के दौरान किया गया।2011-2012 में इसे निवासियों को आवंटित किया गया था। इसके बाद ही यहां रहने वालों ने फ्लैटों के निर्माण की खराब गुणवत्ता की शिकायत डीडीए से शुरू कर दी।

2021-2022 में एक आरटीआई में खुलासा हुआ कि आईआईटी दिल्ली की ओर से 2022 में किए गए अध्ययन में पाया गया कि इमारत संरचनात्मक रूप से असुरक्षित है और इसे खाली करने के साथ ही तोड़ने की भी सिफारिश की।एलजी ने डीडीए प्रशासन की ओर से इन मामले से किनारा करने पर कहा कि उसकी फाइल के रखरखाव की जिम्मेदारी है। इस आवंटन को समाज कल्याण योजनाओं का हिस्सा नहीं होने के डीडीए के तर्क पर एलजी ने सवाल उठाया कि क्या भवनों का रखरखाव डीडीए का कर्तव्य नहीं है।उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर निवासियों के हितों की अनदेखी की गई। निवासियों से 30 साल का रखरखाव शुल्क वसूलने के बाद भी आवंटियों की परेशानियों की अनदेखी किसी सेवा प्रदाता या सरकारी संगठन की तरफ से न्याय के सिद्धांत का भी उल्लंघन है। इस संबंध में एलजी ने डीडीए को एक पत्र लिखकर विधि विभाग की तरफ से दिए तर्कों पर असहमति जताई।