एनसीआर, १५ दिसंबर २०२२ : आइडियल एजुकेशनल, कल्चरल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में दिनांक 11-12-2022 (रविवार) को श्री राम कँवर वर्मा के सद्य: प्रकाशित काव्य संग्रह 'इंद्रधनुष' का लोकार्पण उनके वसुंधरा, (गाजियाबाद) स्थित आवास पर हुआ। संगोष्ठी के आरंभ में उपस्थित कविगण और बुद्धिजीवियों का परस्पर परिचय कराया गया। तदनन्तर, कविवर राम कँवर ने सभी उपस्थितों को भोजन के लिए आमंत्रित किया। कोई २.३० बजे, मंच पर सभी कविगण और बुद्धिजीवी उपस्थित हुए जहाँ डॉ. असीम आनंद द्वारा गाए गए सरस्वती वंदना के पश्चात्, राम कँवर जी की पुस्तक का विमोचन हुआ जिसका सभी उपस्थितों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया और उन्हें शुभकामनाएं दीं। 
 
संगोष्ठी के प्रथम चरण में जिन बुद्धिजीवियों ने श्री राम कँवर की पुस्तक पर चर्चा की, उनके नाम क्रमश: इस प्रकार हैं : सुरेंद्र कुमार अरोड़ा, डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र,  विनय विक्रम सिंह, ठाकुर प्रसाद चौबे, रेशमा देवी, डॉ. असीम आनंद, अर्चना आनंद और संतोष शर्मा। इस पूरे कार्यक्रम का सौष्ठवपूर्ण सञ्चालन डॉ. असीम आनंद ने किया जो संगोष्ठी में शिरकत करने के लिए आगरा से पधारे थे। 
 
संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार, नाट्यकर्मी तथा बेगूसराय नाट्य विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री अनिल पतंग ने की। पुस्तक-विमोचन के पश्चात् डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र ने विमोचित पुस्तक में संगृहीत कविताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि राम कँवर की सभी कविताएं छांदिक अनुशासनों से आबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि कँवर जी ने काव्य सृजन अपनी प्रौढ़ावस्था में शुरू किया है  तथापि उनकी कविताओं में परिपक्वता है। उन्होंने संक्षेप में उनकी कविताओं के भाव-पक्ष और कला-पक्ष पर भी प्रकाश डाला। पुस्तक में संगृहीत कविताओं के शिल्प की चर्चा करते हुए सुरेंद्र कुमार अरोड़ा ने उनके साथ अपने आत्मीय संबंधों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्वभाव से अत्यंत सरल और मृदुभाषी, राम कँवर जी की कविता-यात्रा का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है। जगदीश शरण राजवंशी कॉलेज, मेरठ की उप-प्रधानाचार्य रेशमा देवी ने राम कँवर जी के साथ अपने आत्मीय संबंधों की चर्चा करते हुए बताया कि वह जितने अच्छे कवि हैं, उतने ही अच्छे व्यक्ति भी हैं। उनके उद्गार से सभी श्रोता-दर्शकगण भाव-विभोर हो गए। राम कँवर जी के साथ अध्यापन कर चुकी संतोष शर्मा ने कहा कि पितृतुल्य कँवर जी अपने अध्यापन-काल से ही सृजनरत थे जिसका वह खुलासा नहीं करते थे तथा जिसकी जानकारी उन्हें थी। आगरा से आई अर्चना आनंद ने भी मुक्त कंठ से कँवर जी के व्यक्तित्व और रचना-कर्म पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी में ख्यात पत्रिका 'परिंदे' के संपादक ठाकुर प्रसाद चौबे भी उपस्थित थे। उन्होंने संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ किया और कँवर जी को बधाई दी। नोएडा से आए साहित्यकार विनय विक्रम सिंह ने भी कँवर जी को उनकी नव-प्रकाशित पुस्तक के लिए बधाई दी। 
 
संगोष्ठी के अगले चरण में काव्य पाठ का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र ने अपनी तीन गज़लें सुनाईं। उन्होंने कहा कि चूँकि कँवर जी की कविताएं छांदिक परंपराओं का अनुपालन करती हैं, इसलिए वह गेय कविताओं का ही पाठ करेंगे। तत्पश्चात वरिष्ठ लघुकथाकार सुरेंद्र कुमार अरोड़ा ने अपनी एक कविता के साथ-साथ एक लघुकथा का भी पाठ किया। विनय विक्रम  सिंह ने दो गीत सुनाए जिनमें से एक गीत शृंगारिक था जबकि दूसरा यथार्थपरक था। मंच का संचालन कर रहे डॉ. असीम आनंद ने संगीत-संगत में स्वरचित पैरोडी सुनाई जबकि कँवर जी ने अपनी पुस्तक से ही दो आदर्शवादी रचनाओं का पाठ किया। 
अपने अध्यक्षीय भाषण में 'रंग अभियान' पत्रिका के संपादक अनिल पतंग ने राम कँवर जी को बधाई देते हुए सभी वक्ताओं और कवियों की कविताओं की बारी-बारी से समीक्षा की। तत्पश्चात, उन्होंने हास्य-रंग से ओतप्रोत अपनी कुछ कविताएं सुनाकर मंच को गुंजायमान कर दिया। उन्होंने मैथिल में भी अपनी एक कविता सुनाई जिसे सभी ने पसंद किया। 
कार्यक्रम का समापन करते हुए राम कँवर वर्मा जी ने सभी कवियों, बुद्धिजीवियों और श्रोता-दर्शकों को धन्यवाद संप्रेषित किया। 
 
(प्रेस विज्ञप्ति) 
 
 
न्यूज़ सोर्स : Literary Desk