राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिनांक ०५-०९-२०२२ : एन सी आर की साहित्यिक संस्था "इकरा एक संघर्ष" के तत्वावधान में एक लघुकथा गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के अंतर्गत, कोलकाता साहित्य अकादमी के अधिकारी देवेश कुमार देवेश की अध्यक्षता में सुरेंद्र कुमार अरोड़ा, डॉ. मनोज मोक्षेंद्र, रविंद्र कान्त त्यागी, रेनू सिंह, कुसुम जोशी, शशि किरण तथा गीता चौबे 'गूंज' ने  अपनी-अपनी लघुकथाओं का सुरुचिपूर्ण पाठ किया। जैसाकि सर्वविदित है, हिंदी साहित्य में लघुकथाओं का पाठकीय स्तर बड़ी तेजी से बढ़ रहा है तथा हिंदी साहित्य की सभी पत्र-पत्रिकाएं लघुकथाओं को प्रमुखता से प्रकाशित कर रही हैं। सोशल मिडिया पर भी लघुकथाकार का लालित्य देखने में आ रहा है। इन लघुकथाकारों में कुछ नाम तो बड़ी प्रतिष्ठा बटोर चुके हैं जिनमें सुरेंद्र अरोड़ा का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 

"इकरा एक संघर्ष" संस्था के तहत इस आभासी संगोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन प्रथम बार किया गया। आरम्भ में, इस संगोष्ठी के संयोजक सुरेंद्र अरोड़ा ने सभी प्रतिभागी लघुकथाकारों का सम्यक परिचय दिया तथा उनके साहित्यिक अवदानों की बारी-बारी से चर्चा की। तदनन्तर, रेनू सिंह ने कार्यक्रम के प्रस्तोता के रूप में लघुकथाकारों को बारी-बारी से मंच पर अपनी-अपनी लघुकथायें सुनाने के लिए आमंत्रित किया। सभी लघुकथाएं समाज में व्याप्त विद्रूपताओं का गलफोड़ भर्त्सना करती हुई मुखर हुईं। लघुकथाकारों ने बड़े सुरुचिपूर्ण लहजे में लघुकथाओं का पाठ किया जिनकी श्रोताओं ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की। कोलकाता से जुड़े देवेश कुमार देवेश ने अपने समीक्षात्मक संभाषण में कहा कि मंच के साहित्यकारों ने मौजूदा समाज की संवेदनहीन मानसिकता पर करारा प्रहार करते हुए लघुकथाओं का पाठ किया है। तदनन्तर, रेनू जी ने सभी लघुकथाकारों और यूट्यूब से जुड़े श्रोता-दर्शकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। 

 

 

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