नई दिल्ली । दुनियाभर में तेजी से फैल रहे मंकीपाक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की है। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि मंकीपाक्स का संक्रमण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता में डालने वाला है। डॉ। टेड्रोस ने कहा फिलहाल मंकीपॉक्स का संक्रमण उन पुरुषों पर केंद्रित है, जो पुरुषों के साथ संबंध रखते हैं, खासकर उन लोगों के साथ जिनके कई यौन साथी हैं।
डब्ल्यूएचओ चीफ के मुताबिक, यह एक ऐसा प्रकोप है जिसे सही रणनीतियों के साथ रोका भी जा सकता है। इस दौरान उन्होंने कहा कलंक और भेदभाव किसी भी वायरस जितना ही खतरनाक हो सकता है। इसलिए मैं सामाजिक संगठनों से अपील कर रहा हूं, जिन्हें एचआईवी से पीड़ित लोगों के साथ काम करने का अनुभव है, वे इस मंकीपॉक्स के प्रकोप से जुड़े कलंक और भेदभाव से लड़ने के लिए हमारे साथ काम करें।
वहीं, डब्ल्यूएचओ की साउथ-ईस्ट एशिया की रीजनल डायरेक्टर ने कहा है कि मंकीपाक्स के मामले पुरुषों के साथ संबंध बनाने पुरुषों तक केंद्रित हैं। क्षेत्रीय निदेशक डॉ। पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि मंकीपॉक्स तेजी से उन देशों में फैल रहा है, जहां इससे पहले कोई भी केस नहीं मिला था। बीमारी के ज्यादातर मामले पुरुषों के साथ संबंध रखने वाले पुरुषों पर केंद्रित हैं। हमारे उपाय संवेदनशील, कलंक या भेदभाव से रहित होने चाहिए।
डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र के देशों से मंकीपॉक्स के लिए निगरानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को मजबूत करने का आह्वान किया है। डॉ खेत्रपाल सिंह ने कहा वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स का जोखिम है और इसके इंटरनेशनल प्रसार की संभावना है। इसके अलावा वायरस के बारे में अभी भी कई चीजें हमें पता नहीं हैं। हमें सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16000 से अधिक मामले सामने आए हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मंकीपॉक्स के 5 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 4 भारत से और एक थाईलैंड से है। भारत में मामले उन नागरिकों में हैं जो मध्य पूर्व से लौटकर आए हैं। हालांकि इनमें से एक मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। जबकि थाईलैंड में रहने वाले एक विदेशी व्यक्ति मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया है।   एक महीने पहले 47 देशों में मंकीपाक्स के 3040 केस थे। इसका पांच देशों में सबसे ज्यादा प्रकोप फैला हुआ है।
स्पेन में सबसे ज्यादा 3125 लोग इसकी चपेट में हैं। इसके बाद अमेरिका में 2890, जर्मनी में 2268, ब्रिटेन में 2208 और फ्रांस में 1567 केस अब तक सामने आ चुके हैं। नीदरलैंड्स में 712, कनाडा में 681, ब्राजील में 592, पुर्तगाल में 588, इटली में 407, बेल्जियम में 311, स्विटजरलैंड में 216, पेरू में 143, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में 107, इजराइल में 105 और नाइजीरिया में 101 मंकीपॉक्स के केस सामने आ चुके हैं। हालांकि भारत में अभी इसके तीन मामले केरल में ही सामने आए हैं। दुनियाभर में अब तक मंकीपॉक्स के 16,836 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 16,593 केस उन देशों में सामने आए, जहां पहले कभी मंकीपॉक्स के केस नहीं आए थे। केवल 243 केस उन देशों में समाने आए जहां मंकीपॉक्स की हिस्ट्री रही है। ये केस अब तक 75 देशों में सामने आए हैं। इनमें 68 ऐसे देश हैं, जिनमें पहली बार मंकीपॉक्स के केस मिले हैं, जबकि सिर्फ छह देश ऐसे हैं, जहां पहले भी मंकी पॉक्स के केस मिल चुके हैं।
अमेरिका में मंकीपॉक्स से बचाने के लिए जायनेयस वैक्सीन की दो खुराकें दी जाएगी। 15 लाख लोग इस वैक्सील के लिए एलिजिबल हैं। हालांकि सरकार 3 लाख से ज्यादा मंकीपॉक्स वैक्सीन्स को लोगों तक पहुंचा चुकी है  जल्द ही यह वैक्सीन लोगों को लगाई जाएगी। डॉ टेड्रोस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इमरजेंसी कमेटी ने स्वीकार किया कि मंकीपॉक्स प्रकोप के कई पहलू 'असामान्य' हैं।