नई दिल्ली । राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के बेहतर क्रियान्वयन को लेकर राज्यों की रैंकिंग में ओडिशा शीर्ष पर है। इसके बाद उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश का स्थान आता है। मोदी सरकार ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने भारत में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा विषय पर राज्यों के खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान 'एनएफएसए के लिए राज्य रैंकिंग सूचकांक' 2022 जारी किया। विशेष श्रेणी के राज्यों (पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और द्वीपीय राज्यों) में त्रिपुरा ने पहला स्थान प्राप्त किया है। दूसरे और तीसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश और सिक्किम हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉजिस्टिक की दिक्कतों के बावजूद इन क्षेत्रों ने सामान्य श्रेणी के राज्यों के साथ अच्छी प्रतिस्पर्धा की। सरकार की रैंकिंग के अनुसार, ओडिशा 0.836 के स्कोर के साथ पहले स्थान हासिल किया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश (0.797) और आंध्रप्रदेश (0.794) का स्थान है। गुजरात चौथे स्थान पर है। उसके बाद दादरा और नगर हवेली और दमन दीव, मध्यप्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु और झारखंड का स्थान है।
केरल को 11वां, तेलंगाना को 12वां, महाराष्ट्र को 13वां, पश्चिम बंगाल को 14वां और राजस्थान को 15वां स्थान मिला है। पंजाब 16वें स्थान पर है, उसके बाद हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और गोवा का स्थान है। सूचकांक का वर्तमान संस्करण एनएफएसए कार्यान्वयन की प्रभावशीलता को प्रमुख रूप से टीपीडीएस (लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के तहत होने वाले संचालन और पहल के माध्यम से मापता है।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग की कवायद मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी, लेकिन इस काम को किसी तीसरे पक्ष द्वारा अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि यह रैंकिंग एनएफएसए के तहत राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगी। इस खाद्य कानून के रूप में भी जाना जाता है, इसके तहत केंद्र लगभग 80 करोड़ लोगों को अत्यधिक सब्सिडी वाला खाद्यान्न देता है। सरकार प्रति व्यक्ति प्रति माह 1-3 रुपये प्रति किलोग्राम पर पांच किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करती है।
यह एनएफएसए के तहत अन्य मंत्रालयों और विभागों द्वारा कार्यान्वित किये जाने वाले कार्यक्रमों और योजनाओं को अपने दायरे में नहीं लाता है। यह सूचकांक तीन स्तंभों पर टिका है जिसमें खाद्य सुरक्षा और पोषण के विभिन्न पहलुओं पर गौर किया जाता है। प्रत्येक स्तंभ के मानक और उप-मानक हैं जो इस आकलन का समर्थन करते हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि सूचकांक केवल टीपीडीएस संचालन की दक्षता को दर्शाता है। यह किसी विशेष राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में भुखमरी या कुपोषण या दोनों के स्तर को नहीं दर्शाता है। मूल्यांकन के निष्कर्षों से पता चला है कि अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने डिजिटलीकरण, आधार सीडिंग और ईपीओएस स्थापना में अच्छा प्रदर्शन किया है, जो सुधारों को दर्शाता है।