लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इस बार 242 लाख मीट्रिक टन आलू की पैदावार हुई है. जबकि बीते वर्ष 240 लाख मीट्रिक टन आलू पैदा हुआ था. आलू की हुई बंपर पैदावार के चलते प्रदेश के लोगों को सस्ता आलू खाने को मिल रहा है.

वही दूसरी तरफ किसानों के लिए लागत निकलना भी मुश्किल हो रहा है.

इस समय पूरे प्रदेश में आलू फुटकर में 10 से 12 रुपए किलो बिक रहा है. जबकि थोक मंडी में यही आलू 400 से 500 रुपए कुंतल बिक रहा है. किसानों को आलू के तीन से साढ़े तीन रुपए प्रति किलो ही मिल रहे है और इसके दाम और गिरने की आशंका व्यक्त की जा रही है.

ऐसा होने पर राज्य के आलू की खेती करने वाले किसान योगी सरकार से खफा हो सकते हैं. इसका संज्ञान करते हुए राज्य में किसानों से 10 लाख मीट्रिक टन आलू खरीदने की योजना सूबे के उद्यान विभाग ने तैयार की है. जिसके तहत बाजार हस्तक्षेप योजना और ऑपरेशन ग्रीन योजना के जरिए किसानों से आलू खरीदने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.

बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत सरकार अब 650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से आलू खरीदेगी. पहले चरण में फर्रुखाबाद, कौशांबी, उन्नाव, मैनपुरी, एटा, कासगंज तथा बरेली यानी सात जिलों में आलू क्रय केंद्र स्थापित कर खरीद की जाएगी. उप्र राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हाफेड) पहले चरण में सात जिलों में क्रय केंद्र स्थापित करने किसानों से आलू खरीदेगा.

आलू के भंडारण में किसानों को कोई परेशानी ना होने पाये इसके लिए प्रत्येक कोल्ड स्टोर पर उद्यान विभाग से कर्मचारी, अधिकारी की ड्यूटी व्यवस्था बनाने के लिए लगाई जा रही है. राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त के मुताबिक विशेषकर फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, बाराबंकी में ई-नीलमी के माध्यम से आलू की बिक्री की जाएगी.

उत्तर प्रदेश में इस साल 6,93000 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती की गई। और करीब 242 लाख मीट्रिक टन आलू की पैदावार हुई है. जबकि राज्य में आलू की घरेलू खपत करीब 90 -95 लाख मीट्रिक टन की है. उसके बाद 20 लाख मीट्रिक टन आलू बीज के लिए रोका जाता है. इस तरह से 110-115 मीट्रिक टन आलू से यूपी का काम चल जाता है. बाकी बचा करीब 40 लाख टन आलू हैदराबाद, विजयवाड़ा, मुम्बई व गुवाहाटी आदि स्थानों पर भेजा जाता है.

राज्य में आलू की बंपर खेती किए जाने के कारण आलू का रकबा और पैदावार दोनों ही बढ़े तो आलू के दाम गिर गए. कोल्ड स्टोरों में जगह न होने के कारण आलू सीधा मंडियों में पहुंच गया. जिसका परिणाम यह हुआ कि आलू का रेट जमीन पर आ गया.

इन आंकड़ों से जाहिर है कि राज्य में खपत से अधिक आलू कोल्ड स्टोर में मौजूद रहेगा और आलू के दाम अधिक नहीं बढ़ेंगे, बल्कि उनके कम होने की संभावना अधिक है. इस पर सरकार ने किसानों की आलू खरीदने की सोची है. ताकि आलू किसानों की नाराजगी का सामना ना करना पड़े.

सरकार ने 650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों से सीधे आलू खरीदने का फैसला किया. राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त का कहना है कि सरकार की इस पहल से किसानों को उनके आलू का वाजिब मूल्य मिलेगा और उन्हे अपना आलू सड़क पर फेकना नहीं पड़ेगा.

वही दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि सरकार को 1500 रुपए प्रति कुंतल आलू किसानों से खरीदना चाहिए. सरकार ने बहुत ही कम कीमत पर किसानों से आलू खरीदने का फैसला किया है. शिवपाल का कहना है कि सरकार किसानों का शोषण कर रही है. और किसानों के मेहनत से उगाए गए आलू को मिट्टी के मोल खरीदा जा रहा है.