लन्दन, ११ दिसंबर २०२२ : दिनांक १० दिसंबर २०२२ को वातायन-यूके संगोष्ठी १३५ में रघुनन्दन शर्मा 'तुषार' की पुस्तक 'भूले बिसरे फिल्म संगीत सितारे' का विमोचन हुआ। इस अनूठी संगोष्ठी की संकल्पना वातायन-यूके की संयोजक दिव्या माथुर ने की थी जबकि इस दिलचस्प कार्यक्रम के कैनवास पर अपनी प्रस्तुतियों से रंग भरने वाले संगीत की दुनिया के जाने-माने कलाकार थे। अध्यक्षता प्रवासी कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने की। 

इस समूची संगोष्ठी की प्रस्तोता और संचालक थीं - ब्रिटेन की ही नवोदित साहित्यकार आस्था देव जिन्होंने कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह पुस्तक हिंदी फिल्म जगत के बीते दिनों के गीतकारों और संगीतकारों का सुन्दर लेखा-जोखा है।  

इस कार्यक्रम का शुभारंभ सुप्रसिद्ध त्रिभाषी गायिका विशारद गायत्री अशनी के एक अभिनन्दन गीत 'ज्योति कलश छलके' से किया गया जिसे लता मंगेशकर ने फिल्म 'भाभी की चूड़ियां' में गाया था। तदनन्तर, आस्था ने भारत की पांच भाषाओं में सृजनरत, रघुनन्दन शर्मा जी के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया तथा उन्हें अपनी पुस्तक के लोकार्पण के लिए मंच पर आमंत्रित किया। पेशे से वकील-रघुनन्दन जी ने बताया कि ऐसे अमर गीतों के गीतकारों और संगीतकारों के बारे में इस पुस्तक में विवरण दिया गया है, जो आज भी संगीत-प्रेमियों द्वारा गाए जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पुरानी फिल्मों के एक-एक गीत का शब्द-संयोजन करने और उसे गीत-संगीतबद्ध करने में कई-कई महीने लग जाते थे। गायकों में उन्होंने कुंदन लाल सहगल, के. सी. देव, राजकुमारी, ज़ोहरा बाई अंबाला, पंकज मलिक आदि को याद किया जिन्होंने उन पुराने सुमधुर गीतों को अपने स्वरों से सज्जित किया था। 

ब्रिटेन स्थित भारतीय उच्चायोग में कार्यरत नंदिता साहू ने फिल्म 'सारंगा' से मुकेश द्वारा गाया गया और भरतव्यास द्वारा रचित गीत 'सारंगा तेरी याद में नैन हुए बेचैन' को अपने सुमधुर स्वर में सुनाकर श्रोताओं पर सम्मोहिनी डाल दी। उसके बाद लता मंगेशकर की प्रशंसक और बहुमुखी प्रतिभा की धनी गायिका विभूति शाह ने मूल रूप से कानन देवी द्वारा गाये गए गीत 'ऐ चाँद छुप ना जाना' को ऑडियो संगीत के संगत में गाकर सुनाया। 

इसी क्रम में, 'भूले बिसरे फिल्म संगीत सितारे' पुस्तक के प्रकाशक अरुण माहेश्वरी ने पुस्तक और इसके लेखक के बारे में अपने उद्गार व्यक्त किए। वाणी प्रकाशन के प्रकाशक अरुण माहेश्वरी ने संगीत की विभिन्न हस्तियों से संबंधित अपने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि उन्हें इस मंच पर उपस्थित होकर बड़ी प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। संगोष्ठी के अगले  चरण में मिक्स्ड मीडिया आर्टिस्ट, भक्ति संगीत और उप-शास्रीय गायिका तथा चित्रकला शिक्षिका--दीपा स्वामीनाथन ने 'तुम अपना रंजो-ग़म, अपनी परेशानी मुझे दे दो' का हृदयस्पर्शी गायन प्रस्तुत किया जिसे उपस्थित श्रोताओं ने मुक्त कंठ से सराहा। इस संगीत संध्या को आगे बढ़ाते हुए, अपने बाल्यकाल से संगीत-साधना में रमी हुई  देवजानी चक्रबर्ती ने एस. डी. बर्मन द्वारा संगीतबद्ध और साहिर लुधियानवी द्वारा रचित फिल्म 'प्यासा' का गीता दत्त द्वारा गाया गया गीत 'जाने क्या तूने कही, जाने क्या मैंने सुनी' गाकर पूरे माहौल को झंकृत कर दिया। इसके बाद 'वातायन' द्वारा रिलीज 'वतन की खुशबू' एल्बम की गायिका डॉ. राधिका चोपड़ा की अनुपस्थिति में उनकी एक गीत-प्रस्तुति वीडियो के माध्यम से हुई।

इस संगीतमय कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि यदि प्रतिभागी गायिकाएं केवल वे ही गीत सुनाती जिनका विवरण इस पुस्तक में दिया गया है तो इस पुस्तक का विमोचन सार्थक हो जाता। उन्होंने खूबसूरत आवाज़ की धनी समस्त गायिकाओं की प्रस्तुतियों की बारी-बारी से तहे-दिल से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पुस्तक में वर्णित ४६ संगीतकार अत्यंत लोकप्रिय रहे हैं। उन्होंने वाणी प्रकाशन के प्रकाशक अरुण माहेश्वरी के साथ अपने पुराने रिश्तों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में औसतन हर संगीतकार पर ३ पृष्ठ आवंटित किए गए हैं जो बहुत कम हैं और इस कारण उन सभी के बारे में गहराई से जानकारी नहीं मिल पाई है। 

कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ. संध्या सिंह ने पुस्तक के लेखक रघुनन्दन शर्मा, अध्यक्ष तेजेन्द्र शर्मा, प्रतिभागी गायिकाओं तथा उपस्थित श्रोता-दर्शकों को धन्यवाद प्रेषित किया।  

 

(प्रेस विज्ञप्ति)    

न्यूज़ सोर्स : WEWITNESS LITERARY DESK