भोपाल । प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में बुधवार को 11 नगर निगम में समेत 133 निकायों में मतदान होंगे। इन निकायों में अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जमकर प्रचार किया। हालांकि चुनावी मैदान में शिवराज कमलनाथ से काफी आगे रहे। मतदाताओं पर किसने कितनी छाप छोड़ी है आज उसका प्रभाव दिखेगा। प्रदेश में 11 नगर निगम भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, खंडवा, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, उज्जैन, सागर, सिंगरौली, सतना मेें भी पहले चरण में चुनाव होंगे। इसके लिए दोनों प्रमुख दलों ने खूब जमकर प्रचार किए। बड़ी-बड़ी सभाएं हुईं, रोड-शो कर मतदाताओं के गली-मोहल्ले तक जाने की कोशिश की गई। अब बुधवार को मतदाता किसे अपना वोट देता है, इसके परिणाम 17 जुलाई को पता चलेंगे।

शिवराज बनाम कमलनाथ
इस नगरीय निकाय चुनाव को दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव 2023 का सेमीफाइनल समझकर मैदान में उतरी। बीजेपी ने सीएम शिवराज का चेहरा आगे किया तो कांग्रेस ने पूर्व सीएम कमलनाथ का। ऐसे में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 22 जून की शाम से ही प्रचार के लिए जोर-शोर से मैदान में आ गए। एक के बाद एक ताबड़तोड़ तरह से सभाएं और रोड़ शो किए। प्रचार के लिए सभाएं और रैली, रोड-रोश पर 4 जुलाई की शाम को रोक लग गई। इस दौरान सीएम शिवराज ने 13 दिन में 38 सभाएं और 18 रोड शो किए। शिवराज ने न सिर्फ सभी 11 नगर निगम में बीजेपी प्रत्याशियों के समर्थन में उनके क्षेत्र पहुंचे बल्कि नगर पालिका व नगर परिषद तक गए। उधर, कांग्रेस के लिए कमलनाथ ने एक अलग स्ट्रेटजी के साथ चुनाव को मोर्चा संभाला। शिवराज के मुकाबले की उनकी सभाएं और रोड शो भले ही कम हों। लेकिन जनता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए सभा और रोड शो में समय कम खर्च कर अलग-अलग शहरों के प्रबुद्धजनों से बात की और मीडिया से चर्चा कर उनके सवालों के जवाब देते दिखाई दिए। कमलनाथ ने इस दौरान 10 सभाएं और लगभग 4 रोड-शो किए। ऐसे में वे सभी नगर निगम क्षेत्र में नहीं पहुंच सके। कमलनाथ ने 24 जून से सभाएं करना शुरू कीं थी। 4 जुलाई तक इंदौर को छोड़कर सभी 10 नगर निगमों को उन्होंने कवर किया। वे इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के नॉमिनेशन के दौरान पहुंचे थे।

एक-दूसरे पर खूब किए जुबानी हमले
इन सभाओं के दौरान दोनों एक-दूसरे पर जमकर जुबानी हमले किए। दोनों एक-दूसरे के सरकार की कमियां गिनाईं। शिवराज ने कहते रहे कि कमलनाथ 15 महीने की सरकार में पैसा नहीं होने का बहाना बनाते रहे। उधर, कमलनाथ ने भी शिवराज को चुनौती दी कि वे मंच पर आ जाएं वे उनकी 18 साल की सरकार का हिसाब रखें तो कमलनाथ 15 महीने की सरकार हिसाब रखने को तैयार रहेगा।