नई दिल्ली । सूरत कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई है। खास बात है कि यह घटनाक्रम उस समय में हुआ है, जब 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। अब ऐसी स्थिति में कांग्रेस के गांधी घराने पर संसदीय चुनाव लड़ने का दबाव बढ़ जाएगा।
राहुल की लोकसभा सदस्यता जाने के बाद कहा जा रहा है, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को चुनाव लड़ना जरूरी होगा। बीते साल अक्टूबर में मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष की गद्दी संभालने के बाद सोनिया की राजनीतिक सक्रियता कम हो गई थी। इसके अलावा वह हाल ही में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते अस्पताल में भर्ती हुई थीं। इसके बाद अटकलें थी कि वह अपनी राजनीतिक पारी को विराम दे सकती हैं। बीते महीने छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुए कांग्रेस के महाधिवेशन में भी उन्होंने इस तरह के संकेत दिए थे। हालांकि, पार्टी ने बाद में इस तरह की अटकलों पर विराम लगा दिया था।
फिलहाल, सोनिया गांधी यूपी की रायबरेली सीट से सांसद हैं। इस यूपी में कांग्रेस का आखिरी गढ़ माना जा रहा है। उनसे पहले पूर्व पीएम दिवंगत इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी जैसे कांग्रेस के दिग्गज कई बार यहां से जीत हासिल कर चुके हैं। साल 2004 में पति और पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी की सियासी विरासत को उन्हें राहुल को सौंपकर अमेठी से निकलकर रायबरेली का रुख किया था। तब से ही वह लगातार यहां से जीत दर्ज कर रही हैं, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी ने यहां अपनी रफ्तार बढ़ा दी है।
राहुल भी 2004, 2009 और 2014 में अमेठी सीट से विजयी रहे, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में रायबरेली लोकसभा क्षेत्र की दो विधानसभा सीटों (रायबरेली सदर और हरचंदपुर) पर पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ था। इसके अलावा नगर पालिका अध्यक्ष पूर्णिमा श्रीवास्तव भी भाजपा के साथ चली गई थीं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा करीब दो दशकों से कांग्रेस के सियासी सफर में सक्रिय हैं, लेकिन औपचारिक रूप से उनकी राजनीतिक पारी 2019 में शुरू हुई थी। खास बात है कि अब तक उन्होंने चुनावी डेब्यू नहीं किया है, लेकिन अगर राहुल की सदस्यता पर खतरा होता है तब वह केरल की हाईप्रोफाइल वायनाड सीट से दावेदारी पेश कर सकती हैं।