पटना    बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के डिप्टी तेजस्वी यादव ने चुनावी वादे पूरे करने की बात कही है। इनमें 10 लाख नौकरियों का वादा भी शामिल है, जिसे लेकर आर्थिक जानकारी चिंता जाहिर कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि प्रदेश की राजस्व की स्थिति को देखते हुए वादे मुश्किल नजर आ रहे हैं। हालांकि, जानकार यह भी कह रहे हैं कि लक्ष्य पूरा करना असंभव नहीं है। राज्य के वित्तीय मामलों की रिपोर्ट बनाने में शामिल रहे एक विश्लेषक का कहना है, 'सीएम नीतीश कुमार को तेजस्वी को व्यवहारिक पहलू का एहसास कराना होगा।' उन्होंने कहा कि बिहार के 2.15 लाख करोड़ के सालाना बजट का बड़ा हिस्सा राजस्व और केंद्रीय मदद के हिस्से से आता है। बताया गया है, '86 हजार 659 रुपये के मुकाबले बिहार में प्रति व्यक्ति आय सबसे कम 31 हजार 17 रुपये है।' पटना विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख नवल किशोर चौधरी ने कहा कि यादव के सामने काम कठिन है असंभव नहीं। उन्होंने कहा, 'सरकार को राजस्व बनाने और फंड जुटाने के लिए अलग हटकर सोचने की जरूरत है...।' 2020 विधानसभा चुनाव से पहले राजद ने बेरोजगारी के मुद्दे पर जोर दिया था और 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया था। जानकारों का कहना है कि इसे पूरा करने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च की जरूरत होगी। इसके अलावा पार्टी ने पेंशन स्कीम और करीब 10 लाख संविदा कर्मियों और पेंशन हासिल करने वालों को एक समान भुगतान की भी बात कही थी। आंकड़े बताते हैं कि अगर सरकार वादा लागू करती है, तो पेंशन बजट सालाना 10 हजार करोड़ रुपये भरने की संभावना है। फिलहाल सरकार, सैलरी पर 21 हजार 942 करोड़ रुपये और पेंशन पर 19 हजार 635 करोड़ रुपये खर्च करती है। 2020 विधानसभा चुनाव में राजद सबसे बड़ा दल बनकर उभरी थी, लेकिन उनका गठबंधन बहुमत हासिल नहीं कर सका। हालांकि, नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद पार्टी फिर सत्ता में आ गई।