नई दिल्ली । नरेंद्र मोदी सरकार की ओर घोषित अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक विरोध समय के साथ कम होता दिख रहा है। मोदी सरकार भारतीय सशस्त्र बलों में चार साल की नौकरी की पेशकश करने वाली भर्ती योजना के लाभों के बारे में उम्मीदवारों को समझाने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तीनों सेनाओं के प्रमुखों से मुलाकात कर अग्निपथ योजना को लागू करने की उनकी योजना के बारे में जानकारी ली। केंद्र सरकार ने 14 जून को भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना में युवाओं की भर्ती के लिए योजना की घोषणा की।
हालांकि, योजना के खिलाफ विभिन्न राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए, क्योंकि देश में कई राज्यों के प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसा और आगजनी के भयावह दृश्य दिखाई दिए। जबकि विपक्ष ने भाजपा सरकार पर बिना किसी वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा के युवाओं को नौकरी की योजना देने का आरोप लगाया। भाजपा ने इस योजना के खिलाफ युवाओं को भड़काने के लिए विपक्ष पर हमला बोला। विपक्ष के विरोध और आरोपों से बेपरवाह सरकार ने अग्निपथ योजना को लागू करने और भर्ती शुरू करने का फैसला किया है। अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद भड़के विरोध के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए एक देशव्यापी सर्वे किया। सर्वे के दौरान, जहां 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सैन्य भर्ती योजना के खिलाफ विरोध धीरे-धीरे समाप्त होगा, वहीं 40 प्रतिशत जवाब देने वालों ने कहा कि आने वाले दिनों में योजना के खिलाफ आंदोलन तेज होगा।
दिलचस्प बात यह है, कि सर्वे के दौरान एनडीए समर्थक अधिकांश 74 प्रतिशत ने कहा कि निकट भविष्य में प्रदर्शन समाप्त हो जाएंगे, वहीं विपक्षी समर्थक मुद्दे पर विभाजित थे। विपक्षी मतदाताओं में जहां 51 फीसदी का मानना है कि विरोध तेज होगा, वहीं 49 फीसदी का मानना है कि योजना के खिलाफ आंदोलन धीरे-धीरे खत्म होगा। सर्वे से यह भी पता चला कि अधिकांश शहरी और ग्रामीण मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा सोचता है कि नौकरी योजना के खिलाफ विरोध समय के साथ समाप्त होगा। सर्वे के आंकड़ों के अनुसार 64 फीसदी शहरी मतदाताओं और 58 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं ने कहा कि योजना के खिलाफ आंदोलन धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा।