नई दिल्ली । मंकीपॉक्स को डब्लूएचओ ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया। यह खतरनाक बीमारी अब तक दुनिया के 70 से अधिक देशों में फैल चुकी है। इसको लेकर डब्लूएचओ महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ए. घेब्रेयसस के मुताबिक मंकीपॉक्स के अभी तक 16 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। आइए एक नजर डालते हैं उन खास वजहों पर जिसके चलते मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया गया है। डब्लूएचओ के महानिदेशक के मुताबिक यह कदम उठाने के पीछे सबसे बड़ी वजह है, इस बीमारी का उन देशों में पहुंचना, जहां अभी तक यह नहीं थी। डॉ. टेड्रोस ए. घेब्रेयसस के मुताबिक कई ऐसे देशों से जानकारी सामने आई जो चौंकाने वाली रही। इनमें से कई देशों में ऐसे मामले कभी नहीं देखे गए। डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ए. घेब्रेयसस के मुताबिक किसी बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के लिए तीन क्राइटेरिया हैं। मंकीपॉक्स को लेकर यह तीनों क्राइटेरिया पूरे होते हैं। इसके अलावा इमरजेंसी कमेटी ने इस बार बीमारी को लेकर चिंता जताई थी। डॉ. टेड्रोस ए. घेब्रेयसस ने बताया कि जब हम पिछले महीने मिले थे 47 देशों में केवल 3,040 केस ही थे। लेकिन इस पर न सिर्फ देशों की संख्या बढ़ चुकी है, बल्कि सिर्फ एक महीने के अंदर केसेज की संख्या बढ़कर 5 गुना हो चुकी है। चौथे कारण की तरफ इशारा करते हुए डब्लूएचओ चीफ ने कहा कि मंकीपॉक्स को लेकर वैज्ञानिक सिद्धांत, सबूत और अन्य जरूरी सूचनाएं उपलब्ध नहीं हैं। टेड्रोस ने कहा कि संक्षेप में, हम एक ऐसी महामारी का सामना कर रहे हैं जो संचरण के नये माध्यमों के जरिये तेजी से दुनिया भर में फैल गई है। इस रोग के बारे में हमारे पास काफी कम जानकारी है और यह अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमन की अर्हता को पूरा करता है। भारत में अभी तक केरल में मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। इसके साथ ही भारत में एयरपोर्ट पर निगरानी का फरमान जारी कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक यह तीनों ही मामले दूसरे देशों से लौटे यात्रियों के हैं। गौरतलब है कि इस रोग को वैश्विक आपात स्थिति घोषित करने का यह मतलब है कि मंकीपॉक्स का प्रकोप एक असाधारण घटना है। यह रोग कई अन्य देशों में भी फैल सकता है तथा एक समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया की जरूरत है।