राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, १० जनवरी, २०२३:
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, १० जनवरी, २०२३:  'वातायन-यूके' के सहयोग से दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय ने दिल्ली में एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कालेज की संपादकीय समिति 'विदथ' का विशेष योगदान रहा और संपादक रेखा उत्प्रेती जी की भूमिका उल्लेखनीय रही। 
इस संगोष्ठी का विषय था-'अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी।'
उल्लेखनीय है कि 'वातायन-यूके' लंबे समय से हिंदी साहित्य और भाषा तथा भारतीय संस्कृति के विभिन्न पक्षों पर कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। इन कार्यक्रमों ने दुनियाभर में विशेष लोकप्रियता हासिल की है तथा इस मंच से विश्व के नामचीन हिंदी साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी जुड़ते रहे हैं। दिनांक १० जनवरी २०२३ को  वातायन-यूके की संयोजक दिव्या माथुर अपने सदस्यों के साथ हिंदुस्तान का दिल कही जाने वाली दिल्ली में अपना दस्तक दिया तथा इसी दिन मनाए जाने वाले 'विश्व हिंदी दिवस' के अवसर पर इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में इस दिवस को उत्सवित किया। 
इस कार्यक्रम में विश्वभर के अग्रणी साहित्यकारों और लेखकों ने  प्रतिभागिता की तथा हिंदी भाषा और साहित्य के सन्दर्भ में विचारों का परस्पर आदान-प्रदान किया। इस विशेष अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफ़ेसर अनिल राय तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के विशेष आमंत्रिती थे। इंग्लैण्ड के ख्यातिलब्ध हिंदी वक्ताओं ने अपने गरिष्ठ वक्तव्यों से इस कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। भारत पधारे इन प्रवासी वक्ताओं में प्रमुख थे- ब्रिटेन के डॉ. पद्मेश गुप्त, मीरा मिश्रा कौशिक-ओ बी ई, दिव्या माथुर और जय वर्मा; अमरीका के अनूप भार्गव एवं रजनी भार्गव तथा ऑस्ट्रेलिया की रेखा राजवंशी। 
इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज की संपादकीय समिति (VIDATH) का भी 'वातायन-यूके' द्वारा प्रायोजित इस आयोजन में विशेष सहयोग मिला और डॉ. विनीता सिन्हा तथा डॉ. रेखा उत्प्रेती ने कार्यक्रम को अंजाम तक ले जाने में कंधे से कन्धा मिलाकर अपना योगदान किया। इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज की कार्यवाहक प्रधानाचार्य- प्रोफ़ेसर रेखा सेठी ने इस दिवस के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने हिंदी भाषा  की कार्यशालाओं में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एकजुट होकर बड़ी सक्रियता से कार्य करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार से भारत और प्रवासी समुदाय के मध्य एक सांस्कृतिक सेतु तैयार होगा तथा भारतीय संस्कृति विश्व में व्यापित होगी। महाविद्यालय की आई क्यू ए सी कोऑर्डिनेटर, विनीता सिन्हा ने अपने वक्तव्य में हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि भाषा ही वह माध्यम है जिसके जरिए ज्ञान की भारतीय परंपरा को भविष्य में प्रक्षेपित किया जा सकता है। विश्व के सभी हिस्सों से पधारे विद्वतजनों ने हिंदी के विकास में आ रहे अड़चनों को दूर करने के लिए अपने महत्वपूर्ण अनुभवों का छात्रों के साथ साझा किया। उन्होंने छात्रों को बताया कि हिंदी का वैश्विक महत्व बढ़ता जा रहा है। उनके विचारों से प्रेरित होकर छात्रों ने उत्साहपूर्वक कार्यक्रम में सहभागिता की तथा उन्होंने विद्वान वक्ताओं से हिंदी से संबंधित अनेक सवाल भी पूछे।   
इस कार्यक्रम के समापन पर, छात्रों तथा वक्ताओं के बीच प्रश्नोत्तरी सत्र पूर्णतया एक ज्ञानवर्धक सत्र था जिसे सभी उपस्थितों ने तहेदिल से सराहा। उल्लेखनीय है कि इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय में आयोजित यह कार्यक्रम देशभर में बड़े पैमाने पर चर्चा का विषय बना रहा। विशेषज्ञों की माने तो ऐसे कार्यक्रम सिलसिलेवार ढंग से देशभर में आयोजित किया जाना हिंदी भाषा और साहित्य के लिए अत्यंत उपादेय साबित होगा। 
 
(प्रेस विज्ञप्ति-डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र)
 
न्यूज़ सोर्स : Literary Desk