टूट रहे परिवार हैं, बदल रहे मनभाव। 
प्रेम जताते ग़ैर से, अपनों से अलगाव।। 

अगर करें कोई तीसरा, सौरभ जब भी वार। 
साथ रहें परिवार के, छोड़े सब तकरार ।। 

बच पाए परिवार तब, रहता है समभाव । 
दुःख में सारे साथ हो, सुख में सबसे चाव ।।

परम पुनीत मंगलदायक, होता है परिवार।
अपनों से मिलकर बने, जीवन का आधार।। 

प्यार, आस, विश्वास ही, रिश्तों के आधार।
कमी अगर हो एक की, टूटे फिर परिवार।।

आपस में विश्वास ही, सब रिश्तों का सार।
जहाँ बचा ये है नहीं, बिखर गए  परिवार।।

रिश्तों के मनकों जुड़ा, माला- सा परिवार।
 टूटा नाता एक का, बिखरा घर-संसार।।

देश-प्रेम की भावना, है अनमोल विचार।
इसके आगे तुच्छ है, जाति, धर्म परिवार।। 

क्या एकांकी हम हुए, छूट गए परिवार। 
बच्चों को मिलता नहीं, अब अपनों का प्यार।। 

प्यार प्रेम की रीत का, रहता जहाँ अभाव। 
ऐसे घर परिवार में, सौरभ नित्य तनाव।। 

सुख दुख में परिवार ही, बनता एक प्रयाय। 
रिश्ते बांधे प्रेम के, सौरभ बने सहाय।।

न्यूज़ सोर्स : साहित्य--वी विटनेस