​लंदन स्थित "वातायन- यूके" के बैनर तले, बसंत महोत्सव पर आयोजित केंद्रीय हिंदी संस्थान 
के तत्वावधान में दिनांक: 5 फरवरी, 2022 को "अन्तरराष्ट्रीय वैश्विक संगोष्ठी-92" का भव्य आयोजन किया गया जिसमें हिन्दी के विशिष्टतम साहित्यकार कमल किशोर गोयनका और लोकप्रिय रचनाकार गीत चतुर्वेदी को क्रमशः "वातायन शिखर सम्मान" (लाइफ टाइम अचीवमेंट) और "अंतरराष्ट्रीय वातायन साहित्य पुरस्कार" से अलंकृत किया गया।  धूमधाम से सम्पन्न हुए इस उल्लेखनीय कार्यक्रम में भारत, ब्रिटेन, जर्मनी, हॉलैंड, रूस, स्पेन, अमेरिका, चीन, जापान, मॉरिशस, डेनमार्क, जर्मनी, अमेरिका, कैनेडा, त्रिनिदाद और श्रीलंका जैसे देशों से विशिष्ट अतिथि, लेखक, प्रबुद्धजन और श्रोता से जुड़े रहे। इस सुअवसर पर ब्रिटिश सांसद श्री वीरेंद्र शर्मा;  केंद्रीय हिंदी संस्थान-आगरा के उपाध्यक्ष श्री अनिल शर्मा जोशी; नामचीन लेखिका और गुरुकुल की अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. पुष्पिता अवस्थी; प्रसिद्ध लेखिका, अनुवादक एवं आर्टिस्ट अनिता गोपालन; केंद्रीय हिंदी संस्थान की निदेशक डॉ. बीना शर्मा; "वातायन-यूके" की संस्थापक दिव्या माथुर और अध्यक्ष मीरा मिश्रा कौशिक; ओबीई और यूके हिंदी समिति के संस्थापक और ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज के निदेशक डॉ. पद्मेश गुप्त  की गरिमामयी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और महत्वपूर्ण बना दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत श्रीलंकाई मूल की गायिका तथा गायन प्रशिक्षिका और संगीत की अध्यापिका विशारद गायत्री अशिनी की सुरीली और भावप्रवण सरस्वती वंदना से हुई। तदनंतर डॉ. निखिल कौशिक ने 2003 में स्थापित वातायन की गतिविधियों पर एक पावरपॉइंट भी प्रस्तुत किया। 

इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. पद्मेश गुप्त ने किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर के वातायन सम्मानों के अलंकरण के पाश्चात्य सम्मानित साहित्यकारों के उद्गार उल्लेखनीय रहे। गीत चतुर्वेदी ने सम्मानित किए जाने के आभारस्वरूप जिस भावुकतापूर्ण मन:स्थिति में न केवल वातायन समिति के सदस्यों का अपितु अपने परिवारजनों, मित्रों और बंधु-बांधवों का काव्यात्मक विवरण दिया, उसने ऑनलाइन उपस्थित समस्त श्रोता-दर्शकों का मन मोह लिया। तत्पश्चात प्रख्यात हिन्दी लेखक डॉ. कमल किशोर गोयनका ने अपने श्रीमुख से अपने साहित्यिक अवदान और विशेष रूप से प्रेमचंदीय और प्रवासी साहित्यिकी योगदान पर विशद चर्चा की तथा अपनी साहित्यिक यात्रा के मूल्यवान अनुभवों का साझा किया। इन सम्मानित साहित्यकारों तथा "वातायन-यूके" के साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदानों के बारे में श्री वीरेंद्र शर्मा, श्री अनिल शर्मा जोशी, डॉ. पुष्पिता अवस्थी; अनीता गोपालन; डॉ. बीना शर्मा, मीरा मिश्रा कौशिक आदि ने अपने सारगर्भित विचार प्रकट किए।

डॉ. पद्मेश गुप्त और सुश्री तिथि दानी ने अपने-अपने सुपरिचित अंदाज़ में कार्यक्रम के आयोजन के उद्देश्य के बारे में विवरण दिया। अपने समापन-उवाच में प्रवासी कवि श्री आशीष मिश्र ने सभी सम्मानितों, उपस्थितों और श्रोता-दर्शकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

न्यूज़ सोर्स : wewitnessnews