पाकिस्तान की सेना ने अफगानिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में हवाई हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं और बच्चों सहित आठ नागरिकों की मौत हो गई। इन हमलों में पाकिस्तान सीमा के पास खोस्त और पक्तिका प्रांतों में नागरिक घरों को निशाना बनाया गया। वहीं, अब पाकिस्तान के हमलों का अफगानिस्तान ने भी करारा जवाब दिया है।

अफगानिस्तान ने किया पलटवार

पाकिस्तान द्वारा किए गए हमले के बाद अफगानिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की है। अफगानिस्तान की सेनाओं ने सीमा पर पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को निशाना बनाया, जो दो साल से अधिक समय पहले सत्ता संभालने के बाद तालिबान की ओर से पहला जवाबी हमला बन गया है।

तालिबान-नियंत्रित रक्षा मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, अफगानिस्तान की राष्ट्रीय इस्लामी सेना भारी हथियारों के साथ सीमा पर सैन्य चौकियों को निशाना बनाकर पाकिस्तान को जवाब दे रही है। रक्षा और सुरक्षा बल किसी भी आक्रामक कार्रवाई का जवाब देने के लिए तैयार हैं।

पाक ने दी जवाबी कार्रवाई की धमकी

ये हमले उत्तरी वजीरिस्तान में सुरक्षा बलों की चौकी पर आतंकवादी हमले में दो अधिकारियों सहित सात सैनिकों की हत्या के बाद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा जवाबी कार्रवाई की कसम खाने के एक दिन बाद हुए हैं। हाफिज गुल बहादर समूह ने घातक हमले की जिम्मेदारी ली थी।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अफगान सीमा क्षेत्रों में उसी समूह को निशाना बनाकर "आतंकवाद विरोधी अभियान" की पुष्टि की, जो पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ बढ़ती सीमा हिंसा के लिए जिम्मेदार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का एक गुट है।

अफगान ने दी चेतावनी

वहीं, दूसरी ओर तालिबान सरकार ने हवाई हमलों की निंदा की और इसे अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से गंभीर परिणाम हो सकते हैं और घटनाओं के बढ़ने की संभावना पाकिस्तान की प्रबंधन क्षमता से परे हो सकती है। एक - दूसरे पर लगा रहे आरोप

अफगानिस्तान में पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि राजदूत आसिफ दुर्रानी ने शनिवार को अफगानिस्तान पर आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया, जिनमें 5,000 से 6,000 तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादी और उनके परिवार शामिल हैं।

अफगानिस्तान ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा, हम अफगानिस्तान में किसी भी विदेशी समूह की मौजूदगी को खारिज करते हैं और उन्हें अफगान धरती पर काम करने की अनुमति नहीं है।