'विश्व पुस्तक मेला २०२३' में प्रख्यात प्रवासी साहित्यकार दिव्या माथुर के कथा-साहित्य से संबंधित तीन पुस्तकों का भव्य लोकार्पण हुआ तथा यह घटना व्यापक रूप से चर्चा का विषय बनी रही। 

विश्व पुस्तक मेला के दूसरे दिन अर्थात २६ फरवरी २०२३ को दिव्या माथुर के बाल उपन्यास 'बिल्लो बुआ का बिल्ला' का लोकार्पण 'वनिका प्रकाशन' के बैनर-तले संपन्न हुआ। इस पुस्तक का लोकार्पण हिंदी साहित्य के लब्ध-प्रतिष्ठ साहित्यकारों की मौजूदगी में संपन्न हुआ। इस लोकार्पण-समारोह के आमंत्रितों में प्रख्यात साहित्यकार नासिरा शर्मा तथा जाने-माने हिंदी के विद्वान अनिल शर्मा जोशी भी थे जो किन्हीं अपरिहार्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सके।  किन्तु, उनकी शुभकामनाएं प्राप्त हुईं।विधिवत सरस्वती पूजन के पश्चात् वनिका प्रकाशन की साहित्यकार-प्रकाशक डॉ. नीरज शर्मा 'सुधांशु' ने डॉ. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, दिविक रमेश, प्रेम जनमेजय, डॉ. मधु चतुर्वेदी, डॉ. राजेश कुमार डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र, अर्पणा संत सिंह आदि को दिव्या माथुर की पुस्तक के अनावरण के लिए आमंत्रित किया। पुस्तक के लोकार्पण के पश्चात्, मधु चतुर्वेदी ने पुस्तक की प्रासंगिकता के संबंध में वक्तव्य दिया। तत्पश्चात, प्रख्यात बाल साहित्यकार दिविक रमेश ने इस उपन्यास के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। वक्ताओं के क्रम में डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र ने बाल उपन्यास के संबंध में बताया कि जहाँ दिव्या माथुर ने अपने संपूर्ण कथा साहित्य में मनुष्य से मनुष्य को जोड़ने का उपक्रम आरंभ किया है, वहीं यह उपन्यास मनुष्य को मनुष्येतर प्राणियों से जोड़ने का काम करता है। अन्य वक्ताओं में सुविख्यात व्यंग्यकार और 'व्यंग्य-यात्रा' पत्रिका के संपादक प्रेम जनमेजय और व्यंग्यकार डॉ. राजेश कुमार ने भी इस बाल उपन्यास पर अपने विचार प्रकट किए तथा सभी ने बच्चों के लिए इस पुस्तक की उपयोगिता को रेखांकित किया। वनिका प्रकाशन के तत्वावधान में डॉ. मोक्षेन्द्र के बच्चों के लिए अंग्रेजी उपन्यास 'डेविल्स फ्रॉम चाइना' तथा बाल नाटिकाओं के संग्रह 'महापुरुषों का बचपन' का भी लोकार्पण किया गया। 

दिनांक २७ फरवरी २०२३ को मध्यान्ह १.०० बजे, दिव्या माथुर के वृहत उपन्यास 'तिलस्म' का लोकार्पण किया गया। यह उपन्यास वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। इस पुस्तक के लोकार्पण समारोह के लिए आमंत्रित साहित्यकार थे-सुविख्यात हिंदी विद्वान अनिल शर्मा जोशी, मधु चतुर्वेदी, रेखा सेठी, अलका सिन्हा, डॉ. राजेश कुमार, गीता श्री, डॉ. अनुज कुमार और वाणी प्रकाशन के प्रकाशक अरुण माहेश्वरी  आदि। इस पुस्तक के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री अनिल शर्मा जोशी ने दिव्या माथुर के व्यापक कृतित्व पर भी प्रकाश डाला। अन्य उपस्थित वक्ताओं ने इस उपन्यास को हिंदी साहित्य में मील के पत्थर के रूप में वर्णित किया। दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर रेखा सेठी के विचार अत्यंत सारगर्भित थे।   

दिनांक २७ फरवरी २०२३ को ही दिव्या माथुर की अंग्रेजी कहानियों का संग्रह 'दि गेम ऑफ़ प्रेटेंस' का लोकार्पण हुआ। वास्तव में, यह संग्रह दिव्या की चुनिंदा कहानियों का अंग्रेजी अनुवाद है। इस संग्रह की कहानियों का अनुवाद अनुराधा गोयल, शैली विलियम्स, डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र, युट्टा ऑस्टिन जैसे साहित्यकार-अनुवादकों ने किया है। इस संग्रह का प्रकाशन इण्डिया नेटबुक्स पब्लिकेशन के द्वारा किया गया है। उल्लेखनीय है कि दिव्या माथुर स्वयं अंग्रेजी भाषा की निष्णात विशेषज्ञ हैं तथापि समयाभाव में उन्होंने अपनी कहानियों का अनुवाद सिद्धहस्त अनुवादकों के द्वारा कराया है। 

इन तीनों प्रकाशन-केंद्रों से प्रकाशित इन कहानी संग्रहों की चर्चा का बाजार पूरे विश्व पुस्तक मेले में गरम रहा है। दिव्या माथुर की पुस्तकों पर चर्चा करने वाले वक्ताओं ने दिव्या के रचनाकर्म को और अधिक उर्वर और सतत बने रहने की कामना की। 

 

(प्रेस विज्ञप्ति)

न्यूज़ सोर्स : Literature Desk