मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में बीस हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ाए तत्कालीन जनपद पंचायत तामिया के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कोर्ट ने चार साल के कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दस हजार रुपये के अर्थदंड भी दिया है। उसने शिकायतकर्ता पर कार्रवाई नहीं करने के नाम पर पचास हजार की घूम मांगी थी।

जिला अभियोजन अधिकारी समीर कुमार पाठक ने बताया कि सुमरन मरकाम ने गत दो दिसंबर 2014 को जबलपुर लोकायुक्त के समक्ष लिखित आवेदन प्रस्तुत किया था कि तामिया जनपद पंचायत के सीईओ महावीर प्रसाद जैन द्वारा पंचायत के रिकॉर्ड का परीक्षण करने के लिए उन्हें नोटिस दिया गया था, जिस पर पंचायत के दो समन्यवक निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सीईओ जैन को दी थी। सीईओ जैन निरीक्षक रिपोर्ट पर कार्रवाई ना करने के लिए उनसे बतौर रिश्वत पचास हजार रुपये की मांग कर रहे थे, जिसकी बातचीत रिकॉर्ड कर सुमरन मरकाम ने लोकायुक्त को शिकायत की थी।

इसके बाद तय योजना के तहत लोकायुक्त की टीम ने तामिया सीईओ महावीर प्रसाद जैन को बीस हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था और प्रकरण दर्ज कर मामले को सुनवाई के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश वरुण पुनासे की न्यायालय में प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी करार दिया। सीईओ महावीर प्रसाद जैन को धारा सात भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में चार वर्ष सश्रम कारावास और दस हजार रुपये जुर्माना और एक अन्य धारा में तीन वर्ष सश्रम कारावास और दस हजार के जुर्माने की सजा से दंडित किया है।