नई दिल्ली । चंद्रयान-3 ने इतिहास रचते हुए चांद की सतह में जहां प्रवेश कर लिया है वहीं आज गुरुवार दोपहर 1 बजकर 8 मिनट पर चंद्रयान-3 को दो टुकड़ों में बांट दिया गया है। दरअसल, प्रोपल्शन मॉड्यूल से  विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक अलग हो गया है। इस के बाद अब विक्रम लैंडर चांद के 100 किमी. क्षेत्र में अकेला चक्र लगाएगा और चांद पर लैंडिंग करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने वीरवार को कहा कि चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल सफलतापूर्वक अलग हो गए हैं। अब लैंडर मॉड्यूल शुक्रवार को चंद्रमा के आसपास की थोड़ी निचली कक्षा में उतरेगा। लैंडर मॉड्यूल में लैंडर और रोवर होते हैं। इसरो ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, लैंडर मॉड्यूल ने कहा, यात्रा के लिए धन्यवाद, दोस्त। लैंडर मॉड्यूल, प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। कल लैंडर मॉड्यूल के भारतीय समयानुसार करीब चार बजे डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की थोड़ी निचली कक्षा में उतरने की संभावना है।
चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। इसके बाद इसने छह, नौ और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया तथा उसके और निकट पहुंचता गया। जैसे-जैसे मिशन आगे बढ़ता गया तो इसरो ने चंद्रयान-3 की कक्षा को धीरे-धीरे घटाने और उसे चंद्रमा के ध्रुव बिंदुओं पर तैनात करने की प्रक्रियाओं को अंजाम दिया। अंतरिक्ष यान के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।
इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि इसके साथ ही चंद्रयान-3 ने चंद्रमा तक पहुंचने की अपनी प्रक्रिया पूरी कर ली है। और अब  प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग कर दिया गया है। इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, आज की सफल प्रक्रिया संक्षिप्त अवधि के लिए आवश्यक थी। इसके तहत चंद्रमा की 153 किलोमीटर&163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया, जिसका हमने अनुमान किया था। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई।