बड़वानी ।  मैं दिव्यांग हूं और हाथों से लिख नहीं पाता हूं। पैर से लिखता हूं। क्या मुझे महाविद्यालय में नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश मिल सकता है। यह प्रश्न प्रतिभाशाली छात्र पारसिंह का था, जो उसने अशरफ मंसूरी, बादल गिरासे और सरपंच अंबाराम के साथ अग्रणी महाविद्यालय के पदाधिकारियों के समक्ष रखे।

पढ़ाई करके सरकारी सेवा में जाना चाहता है

स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन में आकर पारसिंह ने जब पूछा तो करियर काउंसलर व कार्यकर्ताओं ने इसका जवाब दिया। कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया और वर्षा मुजाल्दे ने बताया कि पारसिंह प्रतिभाशाली है तथा आगे पढ़ाई करके सरकारी सेवा में जाना चाहता है। करियर काउंसलर डा. मधुसूदन चौबे ने उन्हें बताया कि प्रवेश की राह में दिव्यांगता कोई बाधा नहीं है। वह महाविद्यालय में नियमित विद्यार्थी की तरह पढ़ाई कर सकता है।

परीक्षा में लिखने के लिए सहायक भी मिल सकता है

यदि वह नियमों के अंतर्गत आता है तो उसे परीक्षा में लिखने के लिए एक सहायक भी मिल सकता है, जिससे उसकी पढ़ाई और आसान हो जाएगी। यदि वह चाहेगा तो परीक्षा में वह स्वयं अपने पैर से भी उत्तर लिख सकेगा।

पारसिंग ने करियर सेल के मार्गदर्शन लेने संबंधी प्रपत्र को स्वयं अपने पैर से भरा। इस दौरान पारसिंह को समझाया गया कि वो एडमिशन ले सकता है। उसे यह आश्वासन भी दिया गया कि यदि उसे कोई परेशानी होती है तो उसे सहायक भी मुहैया हो सकता है।