लन्दन, 14 अक्तूबर २०२३ : ‘वातायन-यूके’ के तत्वावधान में , ऑक्सफोर्ड बिजनेस कॉलेज़, वैश्विक हिंदी परिवार, यूके हिंदी समिति, सिंगापुर साहित्य संगम, इंद्रप्रस्थ कॉलेज़ (दिल्ली विश्वविद्यालय), अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, 'काव्यधारा' और 'काव्यरंग' के सहयोग से दिनांक: 13 अक्तूबर, 2023 (शुक्रवार)को लंदन के ब्रेंटफोर्ड में ‘भारोपीय हिंदी महोत्सव’ के उद्घाटन-समारोह का भव्य आयोजन किया गया। 

इस महोत्सव के प्रथम दिवसीय कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री तथा लब्ध-प्रतिष्ठ साहित्यकार—माननीय रमेश पोखरियाल जी ने की जबकि साथ में थे ब्रिटिश उच्चायोग में कार्यरत अधिकारी श्री दीपक चौधरी मंच पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. संतोष चौबे, प्रोफे. अनामिका, अनिल शर्मा जोशी, के अतिरिक्त, आलोक मेहता, डॉ. सच्चिदानंद जोशी, अरुण माहेश्वरी डॉ. अल्पना मिश्र, नीलिमा डालमिया आधार, डॉ. एम.एन. नंदाकुमारा, जकिया ज़ुबेरी, संजीव पालीवाल, मेयर अफज़ाल कियानी, अपरा कुच्छल, एल. पी. पंत और प्रत्यक्षा सिन्हा की गरिमामयी उपस्थिति रही। ब्रिटिश सांसद वीरेंद्र शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित रहे.

भारोपीय हिंदी महोत्सव की संयोजक-प्रबंधक दिव्या माथुर ने अपनी साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'वातायन-यूके' की टीम के साथ विश्व के 14 देशों से पधारे अतिथियों का स्वागत किया. तत्पश्चात, कार्यक्रम का यथाविधि शुभारंभ ब्रिटिश उच्चायोग में कार्यरत हिंदी और संस्कृति अधिकारी डॉ. नंदिता साहू द्वारा गाई गई सरस्वती वंदना से हुआ.

कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रवासी साहित्यकार डॉ. पद्मेश गुप्त ने कहा कि समारोह में उपस्थित नामचीन साहित्यकार किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं. उन्होंने महोत्सव की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा इस अवसर पर प्रवासी हिंदी महारथियों नामत: डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव समेत उन शख़्सियतों की भी चर्चा की जो विदेश में हिंदी के अभियान-रथ के सारथी रहे हैं. डॉ. गुप्त ने ‘वातायन-यूके’ द्वारा सतत संचालित संगोष्ठियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन गोष्ठियों ने भारत के हिंदी साहित्य और संस्कृति को प्रचारित-प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

इस कार्यक्रम के संबंध में अपने स्वागत भाषण में डॉ. मीरा मिश्रा कौशिक ने समारोह में प्रतिभागिता हेतु देश-विदेश से पधारे साहित्यकारों और हिंदी प्रेमियों का यथासंभव नाम लेते हुए स्वागत किया. उन्होने कहा कि हम यहाँ आज वातायन की बीसवीं सालगिरह मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं. उन्होने कहा कि यूरोपीय परिदृश्य में यह महोत्सव साहित्य, शिक्षाऔर अनुवाद पर केंद्रित है. 

समारोह के प्रथम सत्र में,सुप्रसिद्ध हिंदी प्रचारक और साहित्यकार तथा वैश्विक हिंदी परिवार के मानद अध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी ने अपने सुपरिचित अंदाज़ में बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि यह सम्मेलन अन्य सभी हिंदी सम्मेलनों से अलग है. उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि  यह हिंदी सम्मेलन भारत-ब्रिटेन के मध्य प्राचीन सहयोग-सहभागिता को रेखांकित करता है. उन्होंने विदेशों में हिंदी की अलख जगाने वाले साहित्यकारों सत्येंद्र श्रीवास्तव, गौतम सचदेव और लक्ष्मीशंकर सिंघवी के योगदानों की चर्चा की. उन्होंने बताया कि ‘वातायन-यूके’विदेशों में हिंदी को प्रचारित-प्रसारित करने वाली एक अग्रणी संस्था है. इस अवसर पर, राकेश पांडेय और डॉ. संतोष चौबे की एक-एक पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया.

इसके उपरान्त, डॉ. पद्मेश गुप्त ने श्री दीपक चौधरी को मंच पर आमंत्रित किया. श्री चौधरी ने बताया कि बहुत वर्षों पहले श्री केशरी नाथ त्रिपाठी ने उनकी औपचारिक भेंट डॉ. पद्मेश गुप्त से कराई थी. उन्होंने कहा कि उनका प्रयास भविष्य में भी ऐसे हिंदी समारोहों को प्रोत्साहित करना होगा.

तत्पश्चात भारत के माननीय सांसद श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ने अपने संबोधन में भारोपीय हिंदी महोत्सव के इतने शानदार आयोजन के लिए ’वातायन-यूके’की टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि दुनिया की सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी हमारी संस्कृति का प्राण है और हमारा वसुधैव कुटुम्बकम पर अमल करने वाला देश चांद पर जा चुका है. हमारी नई शिक्षा नीति हमारी भाषा हिंदी का विकास करते हुए जीवन-मूल्यों को स्थापित करेगी. इसके विकास में प्रधानमंत्री मोदी जी का भी बडा योगदान है जो विदेशों में भी हिंदी में ही भाषण देते हैं.

दूसरे सत्र का संचालन लंदन की सुपरिचित कवयित्री आस्था देव ने किया तथा उनके ही संचालन में वातायन सम्मान दिए गए. आस्था ने डॉ. संतोष चौबे की उपलब्धियों पर प्रकाश डालने के लिए जवाहर कर्णावत को प्रशस्ति-पत्र पढने के लिए आमंत्रित किया; शिखा वार्ष्णेय ने उनके लिए प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया. तत्पश्चात, मनीषा कुलश्रेष्ठ ने प्रोफेसर अनामिका की साहित्यिक उपलब्धियों पर चर्चा की जबकि लब्ध-प्रतिष्ठ लेखक और फिल्म-निर्माता निखिल कौशिक ने उनके लिए प्रशस्ति-पत्र पढा. प्रोफे. राजेश ने विदेशी हिंदी शिक्षक प्रोफेसर हाइंस वरनर वेस्लर की उपलब्धियों को रेखांकित किया जबकि डॉ. संध्या सिंह ने उनके लिए प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया. प्रोफे. रेखा सेठी की उपलब्धियों पर नरेश शर्मा जी ने प्रकाश डाला जबकि उनके लिए कवयित्री ऋचा जैन ने प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया.

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में, डॉ. संतोष चौबे, प्रोफे. अनामिका, प्रोफेसर हाइंस वरनर वेस्लर और प्रोफे. रेखा सेठी ने अपने-अपने प्रखर ज्ञान, अनुभव और हिंदी प्रेम का परिचय देते हुए जो वक्तव्य दिए, वे हिंदी साहित्य में सदैव रेखांकित किए जाएंगे. उनके वक्तव्य साहित्यिक बिंदुओं के अतिरिक्त शिक्षण और अनुवाद विषयों पर केंद्रित थे. अस्तु, डॉ. संतोष चौबे को अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मान, प्रोफे. अनामिका को वातायन अंतरराष्ट्रीय साहित्य सम्मान,प्रोफेसर हाइंस वरनर वेस्लर और प्रोफे. रेखा सेठी दोनों को वातायन अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सम्मान से अलंकृत किया गया. समारोह के समापन-चरण में सुप्रसिद्ध प्रवासी कथाकार तेजेंद्र शर्मा ने सभी सम्मानितों का अभिनंदन करते हुए अवसरानुकूल वक्तव्य दिया जिसका सभी श्रोता-दर्शकों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया. अंतरीपा ठाकुर मुखर्जी और अरुण माहेश्वरी ने भी अपने-अपने उद्गार प्रकट किए.

समारोह का समापन सभी सम्मानित साहित्यकारों, प्रबुद्ध वक्ताओं, श्रोता-दर्शक के रूप में उपस्थित साहित्य-प्रेमियों तथा ऑनलाइन जुडे दर्शकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन से हुआ.

न्यूज़ सोर्स : Wewitness Literary Desk