लन्दन, १० जुलाई, २०२२: वातायन मंच के तत्वावधान में दिनांक ९ जुलाई, २०२२ को ११० वीं  साप्ताहिक संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। 'वातायन मंच' की संयोजिका दिव्या माथुर के निर्देशन में आयोजित इस ११० वीं संगोष्ठी में 'दो देश, दो कहानियां (भाग-५)" के अंतर्गत सिंगापुर की कहानीकार शार्दुला नोगजा तथा भारत की कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानियों का उन्हीं के द्वारा वाचन किया गया। इस संगोष्ठी का  संचालन किया संदीप कुमार ने, जो एकल कनाडा फाउंडेशन के शाखा प्रमुख होने के साथ-साथ हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा के निदेशक मंडल में हैं। 

संगोष्ठी के आरम्भ में संदीप कुमार ने शार्दुला नोगजा को मंच पर कहानी-पाठ के लिए आमंत्रित किया। शार्दुला ने "दूध-जलेबी" कहानी का रोचक पाठ किया तथा कहानी में पारिवारिक पृष्ठभूमि में लफड़ों-झटकों का मार्मिक विवरण दिया। शार्दुला ने कहानी में अनेकानेक पात्रों को एक ही कथानक में पिरोकर एक प्रमुख स्त्री-पात्र वसुधा का सुन्दर चित्रण किया। उन्होंने बताया कि यह उनकी पहली कहानी है जबकि उन्होंने जितनी सिद्धहस्तता से कथानक बुना था, वह काबिले-तारीफ है। 

तदनन्तर, मनीषा कुलश्रेष्ठ ने अपनी प्रसिद्ध कहानी "मौसमों के मकान सूने हैं" का सुरुचिपूर्ण  पाठ किया। यह एक विशिष्ट कहानी है जिसमें एक स्त्री-पात्र के आत्महत्यात्मक ख्यालों को बड़े चातुर्य से शमित किया जाता है और एक नैराश्यपूर्ण जीवन को नए सिरे से जीने के लिए उत्प्रेरित किया जाता है। कहानी विचित्र और अचंभित करने वाली थी। पाठक आद्योपांत जिज्ञासा के समंदर में डुबकी ही लगाता रह जाता है तथा कहानी के आखिर में सुखानुभूति से सराबोर हो जाता है। 

संगोष्ठी के अध्यक्ष, सुप्रसिद्ध साहित्यकार पंकज सुबीर ने दोनों कहानियों की सांगोपांग मीमांसा की तथा बताया कि कहानियां शिल्प और कथ्य की दृष्टियों से संपुष्ट थीं। उन्होंने कहा कि यदि शार्दुला की कहानी उनकी पहली कहानी है तो यह आश्चर्यजनक है। मनीषा की कहानी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यह कहानी वैश्विक आधार पर रेखांकित की जाएगी। 

संगोष्ठी का समापन करते हुए संदीप कुमार ने कहा कि वातायन मंच की संगोष्ठियां हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण घटनाओं के तौर पर उल्लिखित होंगी। डॉ. मनोज मोक्षेंद्र ने दोनों कथाकारों और अध्यक्ष को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि वातायन मंच की संयोजिका दिव्या माथुर ने जितनी शिद्दत से वातायन मंच को साप्ताहिक आधार पर सजाया है, वह अविस्मरणीय रहेगा। मोक्षेंद्र ने मंच पर उपस्थित डॉ. अनिल जोशी, तोमियो मिजोकामी, डॉ. जयशंकर यादव,  डॉ. अरुणा अजितसरिया, शैल अग्रवाल, आशा बर्मन, अरविंद शुक्ल, सौभाग्य कोराले, गोवर्धन यादव, अनूप भार्गव, कैप्टन  प्रवीर भारती, सरस्वती ठाकुर, डॉ. मीरा सिंह, अभिनव अरुण, आदेश गोयल; तथा ज़ूम और यू-ट्यूब के माध्यम से जुड़े समस्त श्रोता-दर्शकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। 

 

(प्रेस विज्ञप्ति)

 

(डॉ. म. मो.)

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