लंदन, ३ अक्तूबर २०२२ : दिनांक १ अक्तूबर २०२२ को वातायन यू के प्रवासी संगोष्ठी-२०२१ के तहत 'लोकगीत शृंखला-९ का आयोजन किया गया। इसका विषय था- नवरात्रि का महत्त्व तथा इसकी  प्रासंगिकता। इस संगोष्ठी को ब्रिटेन स्थित 'वातायन वैश्विक मंच' के तत्वावधान में सिंगापुर हिंदी संगम और वैश्विक हिंदी परिवार के सहयोग से संपन्न किया गया। 

संगोष्ठी के प्रस्तोता आशीष मिश्र ने एक वीडियो प्रदर्शित किया जिसमें नवरात्रि के अगले दिन अर्थात दशमी को दशहरा और दुर्गा पूजा के अवसर पर, कोलकाता में होने वाले भव्य आयोजन को दिखाया गया। जैसाकि बताया गया है, इस आयोजन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'यूनेस्को हेरिटेज' के तौर पर मान्यता भी मिली है। ऐसा गौरव किसी अन्य संप्रदाय या धर्म के आयोजन को अभी तक नहीं मिली है। 

इस विशिष्ट संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. मनोज श्रीवास्तव ने की। इस कार्यक्रम के संबंध में ब्रिटेन की प्रख्यात कवयित्री मधु चतुर्वेदी ने प्रस्तावना के रूप में बौद्धिक विवेचन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि राग का विकेन्द्रीकरण भक्ति के रूप में होता है और जब इसे गति प्राप्त होती है तो यही संगीत बन जाता है जिससे हमारा लोकजीवन गुंजायमान हो जाता है। राग से उत्पन्न विराग से भक्ति-भाव और अनुराग से वैयक्तिक प्रेम का उद्भव होता है। हिंदुस्तान में मौसम के संक्रमण काल में जो आयोजन होता है, वह घातक भी हो सकता है और विशिष्ट भी तथा इसी संक्रमण काल में नवरात्रि का आगमन होता है। उन्होंने नवरात्रि में उपवास के महत्त्व पर भी समीचीनता से प्रकाश डाला। इस नवरात्रि-अवधि में हम शक्ति की उपासना करते हैं जो शिव के साथ समन्वय में मानव कल्याण का कारक बनती है। 

कार्यक्रम के अगले चरण में ब्रिटेन-स्थित भारतीय उच्चायोग में अधिकारी के रूप में पदस्थ डॉ. नंदिता साहू ने माता रेणुका से संबंधित मराठी भाषा में एक देवि-भक्ति का हृदयस्पर्शी भजन प्रस्तुत किया। तदुपरांत, गुजरात की शास्त्रीय गायिका विभूति शाह ने गुजराती भाषा में एक भक्ति-गीत प्रस्तुत किया जिसकी सांगीतिक धुन ने सभी उपस्थितों का मन मोह लिया। इसी क्रम में ब्रिटेन में असोसिएट प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत, नृत्यांगना और लेखिका रानासुधा विंजामुरी ने भक्ति के नौ प्रकारों की चर्चा करते हुए तमिलनाडु में एक लोकप्रिय देवी का भजन प्रस्तुत किया जो संस्कृत भाषा में था। इस सांगीतिक भजन-संध्या जैसी संगोष्ठी में अगली प्रस्तुति बंगाल की ख्यात गायिका-द्वय स्वाति घोष और श्रियंका घोष ने नवरात्रि आयोजन को महिमामंडित करते हुए एक बंगाली लोकगीत पेश किया जिसकी सभी श्रोताओं ने करतल ध्वनि प्रशंसा की। कर्णाटक में राजभाषा अधिकारी रहे महादेव कोलूर ने  मैसूर की चामुंडा देवी के संबंध में जो कन्नड़ भाषा में स्वरचित भजन प्रस्तुत किया किया, वह एक लोकप्रिय हिंदी गीत के पैरोडी के रूप में था। ब्रह्मचारिणी देवी-माँ के पहनावे में लेखिका और पत्रकार आराधना झा श्रीवास्तव ने भी एक अति मन-लुभावन भजन प्रस्तुत करके श्रोताओं को आत्मविभोर कर दिया। 

संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. मनोज श्रीवास्तव ने पूरे कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए, लोक शब्द की व्याख्या की जिसका अभिप्राय संकीर्ण अर्थात 'स्थानीय' या 'ग्रामीण' न होकर, 'वैश्विक' है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 'नवरात्रि' में आए 'नव' शब्द की भी विस्तृत व्याख्या की। इतने सज्जित कार्यक्रम के आयोजन के लिए न केवल प्रतिभागियों ने अपितु सभी श्रोता-दर्शकों ने 'वातायन' की सूत्रधार दिव्या माथुर की तहे-दिल से प्रशंसा की।  कार्यक्रम के अंत में, सिंगापुर में हिंदी की प्रोत्साहक डॉ. संध्या सिंह ने अपने सुन्दर वक्तृत्व का परिचय देते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष, प्रस्तावक, प्रस्तोता, प्रतिभागियों और श्रोता-दर्शकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। श्रोता-दर्शकों में मुख्य थे-ललित मोहन जोशी, आशीष रंजन, गीतू गर्ग, रिद्धिमा, आशा मोर, कैप्टन प्रवीर भारती, शन्नो अग्रवाल, मनोज मोक्षेन्द्र, ,गोवर्धन यादव, नंदिता, अरुण अजितसरिया, दीक्षा गुप्ता, डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, अनूप भार्गव, अरुण सभरवाल, मीरा सिंह, अरविंद कुमार शुक्ल, आदेश पोद्दार,  स्वर्ण तलवार आदि। 

 

 

न्यूज़ सोर्स : wewitness literature desk