नई दिल्ली । राजधानी में रेलवे लाइनों पर हो रहे हादसों में इस वर्ष अगस्त तक 466 लोगों की मौत हुई है। यह आंकड़े डराने वाले हैं। जैसे दिल्ली की सड़कों पर दुर्घटनाओं में रोजाना औसतन तीन से चार लोगों की मौत होती है, उसी तरह रेलवे लाइनों पर भी ट्रेन की चपेट में आने से रोजाना एक से दो लोगों की मौत हो रही है। गत वर्ष जनवरी से अगस्त तक 483 लोगों की मौत हुई थी, इस वर्ष के आंकड़ों में तीन प्रतिशत की मामूली कमी आई है। रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) के अधिकारियों का कहना है कि रेलवे लाइनों पर हो रही मौतों का सबसे बड़ा कारण यह है कि लोग लापरवाही से रेलवे लाइन पार करते हैं। लोग शार्टकट के चक्कर में अपनी जान गंवा रहे हैं। रेलवे लाइनों पर लोग तेज गति से आती ट्रेनों को देखे बिना अवैध रूप से रेलवे लाइन पार करते हैं तो कहीं पर मोबाइल फोन पर बात करते हुए तो कई बार हेडफोन लगाकर रेलवे लाइन पार करते हैं। ऐसे में तेज गति से आ रही ट्रेन एकदम से रुक नहीं सकतीं और लोग इनकी चपेट में आ जाते हैं। अब रील बनाते हुए भी कई लोगों की जान जाने के मामले सामने आए हैं। अधिकारी का कहना है कि ट्रेन की चपेट में आने वाले अधिकतर लोग रेलवे लाइनों के पास बसी झुग्गी बस्तियों के रहने वाले होते हैं। वह ट्रैक के दूसरी तरफ औद्योगिक क्षेत्रों में काम करते हैं। सुबह शाम काम पर जाने व आते समय हादसों का शिकार हो जाते हैं। आरपीएफ की दिल्ली मंडल की वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त प्रियंका शर्मा का कहना है कि आरपीएफ हादसे न हो इसके लिए हर स्तर काम कर रही है। हाटस्पाट वाले क्षेत्रों का चयन किया जाता है। इसके आधार पर योजना बनाकर जागरूकता अभियान चलाया जाता है।