सिडनी । एक ताजा अनुसंधान में लंबे समय तक बैठने के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभावों को बताया गया। अनेक कार्यालयों में ‘सिट-स्टैंड’ डेस्क सिस्टम को अपनाया गया है, जिस पर आप लंबे समय तक बैठने के नुकसान से बचने के लिए डेस्क को बटन या लीवर दबाकर ऊंचा कर सकते हैं और खड़े होकर काम कर सकते हैं। 
लेकिन खड़ा होना बेहतर कैसे है? और क्या बहुत अधिक खड़े होने के भी नुकसान हैं? बहुत अधिक बैठने और खड़े होने के जोखिमों के बारे में अनुसंधान क्या कहता है, और क्या ‘सिट-स्टैंड’ डेस्क में निवेश करना ठीक है? जो लोग बहुत अधिक देर तक बैठते हैं उनमें टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के विकसित होने और उनका जीवन कम होने की आशंका बढ़ जाती है। लंबे समय तक बैठे रहने से मांसपेशियों, हड्डियों में, खासकर गर्दन और पीठ में दर्द संबंधी शिकायत बढ़ जाती है। उन लोगों को अधिक बैठने से और भी ज्यादा नुकसान हो सकता है जो बहुत कम व्यायाम करते हैं या एक मानक स्तर तक शारीरिक गतिविधियां नहीं करते हैं।
लंबे समय तक खड़े रहना मस्कुलोस्केलेटल (मांसपेशियों, हड्डियों आदि के) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। लंबे समय तक खड़े रहने से मांसपेशियों में थकान, पैरों में सूजन, नसों में समस्या और पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों, घुटनों, टखनों तथा पैरों में दर्द और परेशानी जैसे लक्षण हो सकते हैं। हाल के शोध से पता चलता है कि एक बार में लगातार खड़े होने की समय-सीमा लगभग 40 मिनट निर्धारित करने से देर तक खड़े रहने से मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने की संभावना कम हो जाएगी। यह उन लोगों पर लागू होता है जिनमें पहले लक्षण हो भी सकते हैं और नहीं भी। 
लंबे समय तक खड़े रहने वाले हर व्यक्ति को इन ‘मस्कुलोस्केलेटल’ लक्षणों का अनुभव नहीं होगा, और कुछ लोग दूसरों की तुलना में लंबे समय तक खड़े रहने के प्रभावों के प्रति अधिक लचीलापन रखने वाले हो सकते हैं। बहरहाल, भले ही आप खड़े होने के बीच में विश्राम लेते हैं और यदि आपको पहले कभी खड़े होने से संबंधित दर्द और पीड़ा हुई है, तो जब आप फिर खड़े होते हैं तो आपको यह समस्या फिर से होने की अधिक संभावना होती है।बैठे-बैठे काफी समय होने पर बीच में खड़े होने या आसपास चहलकदमी करने से आपके शरीर में रक्तप्रवाह, हृदय की सेहत, मानसिक सेहत और जीवन की अवधि बढ़ सकती है। 
मॉडलिंग अध्ययनों से पता चलता है कि प्रतिदिन एक घंटे बैठने की जगह एक घंटे खड़े रहने से मोटापा, वसा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार होता है। जब बैठने की जगह टहला जाए या मध्यम से लेकर कठिन गतिविधियां की जाएं तो फायदा अधिक होगा।  बैठे-बैठे हर 20 मिनट के बाद दो मिनट तक टहलना या 30 मिनट तक बैठने के बाद पांच मिनट तक टहलना शरीर में ब्लड सुगर में सुधार के लिए कारगर हो सकता है। अन्य एक अनुसंधान में पता चला है कि हर 30 मिनट में तीन मिनट की हल्की चहलकदमी या स्क्वैट जैसे सरल प्रतिरोध व्यायाम भी प्रभावदायी होते हैं। 
आप अपनी सुविधा के हिसाब से तय करें। काम करते हुए देर तक खड़े होने या बैठने से कोई असुविधा होती है या शरीर में थकावट महसूस होती है? यदि ऐसा है तो आपको अपने बैठने और खड़े होने के पैटर्न में बदलाव करना होगा। यदि आपको पहले से सेहत संबंधी समस्या है या मांसपेशियों में दर्द जैसी कोई शिकायत है तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लें या किसी ‘एर्गोनोमिक’ विशेषज्ञ के माध्यम से मूल्यांकन कराने का अनुरोध करें। विशेषज्ञ की सलाह से आपको सही फैसला लेने में मदद मिल सकती है।