नई दिल्ली । दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने व उनकी समस्याओं के समाधान के लिए करीब डेढ़ वर्ष पहले खोले गए अधिकतर पिंक बूथ खस्ताहाल हैं। पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना के कार्यकाल में सभी 15 जिलों के डीसीपी में पिंक बूथ खोलने की होड़ लग गई थी। कई जगह पर नए पिंक बूथ बनाए गए थे तो कुछ जगहों पर पहले से बने बूथों का सुंदरीकरण कर उसे पिंक बूथ का रूप दे दिया गया था। अधिकतर बूथों का तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने ही उदघाटन किया था। सभी बूथों में महिला व पुरुष पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई थी। इसमें महिला कर्मियों की संख्या अधिक होती है। बूथों में पुलिसकर्मियों के अलावा शिकायतकर्ता महिलाओं के बैठने के लिए कुर्सियां, शिकायत दर्ज करने के लिए कंप्यूटर सिस्टम व पीने के पानी आदि की व्यवस्था की गई थी। महिला पुलिसकर्मियों को थानों से मुहैया कराई गई स्कूटी व उनके हेलमेट के रंग को भी पिंक कर दिया गया था। दावे किए गए थे कि पिंक बूथों में 24 घंटे एक न एक महिला कर्मी की तैनाती रहेगी, लेकिन जुलाई 2022 में अस्थाना के सेवानिवृत्त होते ही पिंक बूथों में ताले लगने शुरू हो गए। मौजूदा हालात यह है कि अधिकतर पिंक बूथ या तो बंद मिलते हैं। वहां रात तो दूर की बात दिन में भी ताले लगे होते हैं। कुछ बूथों में महिला व पुरुष पुलिसकर्मियों की मौजूदगी रहती तो है, लेकिन बूथों में इस तरह की व्यवस्था नहीं है कि वहां महिलाएं यह सोचकर जाएं कि वहां उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। यही वजह है कि महिलाएं पिंक बूथ में शिकायत लेकर जाने से कतराती हैं।