लखनऊ | सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद अब शहर में रहने वाले बेघर गरीबों का थर्ड पार्टी सर्वेक्षण कराया जाएगा। इसके लिए राज्य नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) ने तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में पिछले साल बेघर गरीबों के लिए शेल्टर होम बनाने की जांच कराई गई थी। इसमें कई शहरों की प्रगति काफी खराब मिली थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए बेघर लोगों की थर्ड पार्टी से सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के इससे पहले के आदेश पर शहरों में रहने वाले निराश्रित व बेघर लोगों के लिए शेल्टर होम बनाने की योजना शुरू की गई थी। इसकी जिम्मेदाररी राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (शहरी) को सौंपी गई थी।

मानक के मुताबिक एक लाख की आबादी पर कम से कम एक शेल्टर होम बनाने थे।वहीं, गरीबों को चिह्नित करने के लिए वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक सर्वे कराया गया था। इसमें प्रदेश भर में सिर्फ 1,54,101 लाभार्थी मिले थे। इनमें से 80 हजार लाभार्थी अकेले कानपुर में होने की बात कही गई थी। इसके आधार पर में शेल्टर होम बनाने का काम शुरू हुआ लेकिन बीते तीन साल में मानक के मुताबिक शेल्टर होम का निर्माण नहीं हो पाया।पिछले साल कराए गए सर्वे में शहरी बेघरों के लिए शेल्टर होम निर्माण में यूपी की प्रगति को काफी खराब पाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने इस स्थिति को देखते हुए अपनी रिपोर्ट में यूपी को पूअर परफॉर्मर स्टेट करार दिया था। तो कानपुर शहर को सबसे खराब बताया गया था। वहीं, शेल्टर होम की स्थिति के जांच के लिए गठित समिति ने भी सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर चिह्नित किए गए लाभार्थियों के लिए जितने शेल्टर होम बनाए जाने चाहिए थे, उतने नहीं बने हैं।

अब सूडा ने बेघर गरीबों के आंकड़े को भ्रामक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा है कि प्रदेश में कुल 1.54 लाख बेघर लाभार्थियों में से अकेले कानपुर में 80 हजार बेघर होने की बता कही गई है, जो व्यावहारिक नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शहरों में बेघर गरीबों का फिर से सर्वेक्षण कराया जाए और इस बार यह सर्वेक्षण थर्ड पार्टी एजेंसी से कराया जाए। इसके आधार पर सूडा ने थर्ड पार्टी से सर्वेक्षण कराने के लिए एजेंसी चयन करने का निर्देश जारी कर दिया है। हर निकायों में अलग-अलग एजेंसियों से सर्वेक्षण कराई जाएगी।