मां अहिल्या की नगरी इंदौर में भगवान भोलेनाथ का एक अनोखा व चमत्कारी शिवलिंग है. मान्यता है कि इस शिवलिंग पर अर्पित जल को ट्यूबवेल या घर में बोरिंग वाली जगह पर डालो तो वहां पानी जल्दी निकल आता है. इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त पूजन दर्शन करने आते हैं और ज्यादातर लोग अपने यहां कराए जाने वाली बोरिंग व ट्यूबवेल के लिए मंदिर से जल लेकर जाते हैं. मान्यता तो ये भी थी कि जब शहर में बारिश नहीं होती थी तब लोग यहां प्रार्थना करते थे और तब बरसात जरूर होती थी.

4 हजार साल पुराना है मंदिर
इंदौर के पंढरीनाथ थाने के पीछे बने इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह करीब 4 हजार साल पुराना है. इंदौर शहर का नाम भी इसी मंदिर के नाम से रखा गया है. प्राचीन इंद्रेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आज भी हजारों श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाएं भगवान के सामने कहते हैं.

बारिश के लिए होती है प्रार्थना
इस मंदिर के तलघर में इंद्रेश्वर महादेव विराजमान हैं. मान्यता है कि जब कभी शहर में बारिश या सूखे की स्थिति बनती थी तो शहरवासी यहां पर आकर जल चढ़ाकर भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करते थे, इसके बाद बारिश हो जाती थी. वहीं एक मान्यता यह भी है कि यहां शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल को जिस भी भूमि पर डालकर बोरिंग कराई जाती है, वहां पानी जल्दी निकल आता है. इसी वजह से कई साल तक लोग बोरिंग खोदने से पहले यहां से जल ले जाया करते थे.

शिव महापुराण में भी जिक्र
इंद्रेश्वर महादेव मंदिर का जिक्र शिव महापुराण में भी मिलता है. मंदिर में प्रत्येक वर्ष श्रावण माह में आने वाले सोमवार, महाशिवरात्रि सहित अन्य पर्वों और त्योहारों को उत्साह के साथ श्रद्धालु मनाते हैं.

स्वामी इंद्रपुरी ने की थी स्थापना
मंदिर के प्राचीन इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में महादेव की स्थापना स्वामी इंद्रपुरी ने की थी. इस मंदिर में जो शिवलिंग है, उसे कान्ह नदी से निकलवाकर प्रतिस्थापित किया गया था. बाद में तुकोजीराव प्रथम ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया.