लखनऊ| भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की नई टीम की घोषणा बृहस्पतिवार को हो सकती है। नए चेहरों को मिलेगी जगह, समीकरणों पर रहेगा ध्यान। टीम में प्रदेश महामंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश मंत्री पद पर कुछ नए चेहरों को जगह मिलेगी। वहीं कुछ प्रदेश पदाधिकारी हटाए जाएंगे। प्रदेश टीम को लेकर दिल्ली में मंथन के बाद लौटे प्रदेश अध्यक्ष चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने बुधवार को प्रदेश कार्यालय में काफी देर तक बैठक की। प्रदेश की टीम में पिछड़ों और दलितों को नेतृत्व देने के साथ परंपरागत वोट बैंक से जुड़ी जातियों का भी ध्यान रखा जाएगा। 

गौरतलब है कि भूपेंद्र चौधरी की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर नियुक्ति हुए छह महीने बीत गए हैं। बीते एक महीने से अधिक से चौधरी की नई टीम के गठन का इंतजार हो रहा है। चौधरी और धर्मपाल सिंह ने प्रदेश टीम के गठन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ चर्चा के बाद पैनल तैयार किया है। वहीं संघ के पश्चिम और पूर्वी क्षेत्र के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ भी नई टीम के पैनल में शामिल नामों पर रायशुमारी हुई है।

सूत्रों के मुताबिक प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर, सुब्रत पाठक, प्रियंका रावत की जगह तीन नए नाम शामिल किए जा सकते हैं। पाठक को कन्नौज और प्रियंका रावत को बाराबंकी से लोकसभा चुनाव लड़ाने की चर्चा है। लिहाजा दोनों को क्षेत्र में काम करने के लिए संगठन के दायित्व से मुक्त रखा जा सकता है। प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रज बहादुर, संतोष सिंह और प्रकाश पाल की प्रदेश महामंत्री पर पदोन्नति हो सकती है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह, विधायक श्रीकांत शर्मा, पूर्व मंत्री सुरेश राणा भी प्रदेश महामंत्री पद की दौड़ में हैं। 

प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद शर्मा, दयाशंकर सिंह के प्रदेश सरकार में मंत्री बनने और लक्ष्मण आचार्य के सिक्किम का राज्यपाल बनने से उपाध्यक्ष के तीन पद खाली होंगे। प्रदेश मंत्री त्र्यंबक त्रिपाठी, डॉ. चंद्रमोहन को भी पदोन्नत कर प्रदेश उपाध्यक्ष या प्रदेश महामंत्री बनाया जा सकता है।

युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रांशुदत्त द्विवेदी, एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया और किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह को भी मूल संगठन में उपाध्यक्ष या प्रदेश मंत्री की जिम्मेदारी मिल सकती है। क्षेत्रीय टीमों के महामंत्री व उपाध्यक्ष भी प्रदेश टीम में शामिल किए जा सकते हैं।

पिछड़े वर्ग से बन सकते हैं तीन क्षेत्रीय अध्यक्ष
सूत्रों का कहना है कि कानपुर-बुंदेलखंड, काशी, गोरखपुर, पश्चिम और ब्रज में क्षेत्रीय अध्यक्ष बदले जा सकते हैं। वहीं अवध में क्षेत्रीय अध्यक्ष की खाली सीट पर भी नई तैनाती होगी। तीन से चार क्षेत्रीय अध्यक्ष पिछड़ी जाति से होंगे, जबकि एक क्षेत्र में ब्राह्मण और एक क्षेत्र में ठाकुर कार्यकर्ता को क्षेत्रीय अध्यक्ष पद की कमान सौंपने की योजना है।