आगरा। उत्तर प्रदेश में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) से पहला टेस्ट ट्यूब बेबी ताजनगरी में जन्मा, यहां अब हर महीने 200 महिलाएं आइवीएफ से गर्भधारण कर रही हैं। नई तकनीकी से आइवीएफ की सफलता का प्रतिशत 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

उत्सव उत्तर प्रदेश का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी

दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुईस ब्राउन का जन्म 25 जुलाई 1978 को था। ताजनगरी में पहला टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म 01 अगस्त 1998 को मल्होत्रा नर्सिंग होम, नाई की मंडी में हुआ। यह उत्तर उसका नाम उत्सव रखा गया, उत्सव उत्तर प्रदेश का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी है।

* आइवीएफ विशेषज्ञ डा. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि प्राकृतिक की जगह कृत्रिम तरीके से इम्ब्रो तैयार किया जाता है।
* इसे तीन से पांच दिन बाद गर्भ में स्थापित कर दिया जाता है, इसके बाद की सभी प्रक्रिया सामान्य गर्भवती महिला की तरह से ही होती है।
* आइवीएफ विशेषज्ञ डा. रजनी पचौरी ने बताया कि नए कानून के बाद अब 50 वर्ष की महिला और 55 वर्ष के पुरुष ही आइवीएफ करा सकते हैं, इससे अधिक उम्र के दंपती आइवीएफ नहीं करा सकते।
* हर महीने 200 आइवीएफ हो रहे हैं।
* निसंतान दंपती में 15 प्रतिशत को आइवीएफ की जरूरत होती है।
* आइवीएफ के माले में पांच वर्ष पहले तक 40 से 50 प्रतिशत केस में सफलता मिलती थी अब यह बढ़कर 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

ये है हाल

* 15- आगरा में आइवीएफ सेंटर
* 180 से 200 - हर महीने कृत्रिम गर्भाधान
* एक से 1.80 लाख रुपये - आइवीएफ का खर्चा 

दुबई में नौकरी कर रहा पहला टेस्ट ट्यूब बेबी

दयालबाग निवासी पहले टेस्ट ट्यूब बेबी उत्सव ने बताया कि उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक किया है। अब दुबई में नौकरी कर रहे हैं।