होली आने को है. 24 मार्च को होलिका दहन और उसके अगले दिन 25 मार्च को रंग खेला जाएगा. होली को लेकर छत्तीसगढ़ में तरह तरह की मान्यताएं और टोने टोटके होते हैं. इनका चलन इतना ज्यादा है कि खुद पंडित पुजारी भी टोटके के उपाय बता रहे हैं. आइए सुनते हैं पंडित जी की बात. मानना या न मानना आपकी मर्जी. ये आस्था और अंधविश्वास का मामला है.

रंग और उमंग का त्यौहार होली फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होलिका दहन और उसके अगले दिन रंग खेला जाता है. हिन्दू धर्म में होली का त्योहार विशेष महत्त्व रखता है. इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च 2024 रविवार को किया जाएगा और फिर उसके अगले दिन यानि 25 मार्च को होली खेली जाएगी.

भद्रा में नहीं होता होलिका दहन
होलिका दहन को लेकर कई मान्यताएं, परंपराएं और कहानियां हैं. होलिका दहन भी मुहर्त में किया जाता है. इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं कोरबा के पंडित दशरथनंदन द्विवेदी. वो कहते हैं भद्राकाल में होलिका दहन वर्जित है. इस वर्ष 24 मार्च को रात 10:30 बजे तक भद्रा का साया है, इसलिए इस साल रात 10:30 के बाद होलिका दहन किया जाएगा.

इस टोटका से दूर होंगी बाधाएं
पंडित दशरथनंदन द्विवेदी का कहना है इस दिन कई इलाकों और समाजों में टोटके की परंपरा है. अला-बला दूर करने के लिए ये टोटके किए जाते हैं. आदिवासी बहुत प्रदेश छत्तीसगढ़ में इसका चलन कुछ ज्यादा है. पंडित कहते हैं इस दिन कई प्रकार के टोटके किए जाते हैं. अगर किसी व्यक्ति की जिंदगी में अशांति है या ऊपरी बाधा से परेशान हैं तो आटे का चोकर, काला तिल और लाल मिर्च को सात बार अपने ऊपर घुमा के होलिका की अग्नि में डाल दें. इससे आपके जीवन मे शांति आएगी और ऊपरी बाधा से मुक्ति मिलेगी.